Jammu Kashmir News: भारतीय क्षेत्र के आखिरी गांव गुरेज में जिला प्रशासन के सहयोग से भारतीय सेना द्वारा ‘जश्न-ए-गुरेज’ उत्सव का आयोजन किया गया. उत्सव का समापन हब्बा खातून स्टेडियम में एक सांस्कृतिक शाम के साथ हुआ जिसमें सैकड़ों पर्यटक और स्थानीय लोगो ने भाग लिया.


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कार्यक्रम में बॉलीवुड के बांसुरी वादक उस्ताद डॉ. मुजतबा हुसैन, मुतली प्रतिभाशाली गायक और कलाकार आबिद अली और उनके संगीतकारों की टीम, नृत्य मंडली और स्थानीय कलाकार समूहों की मनमोहक प्रस्तुतियां शामिल थीं.


1500 लोगों ने उत्सव में लिया भाग
इस उत्सव ने न केवल सेना और स्थानीय लोगों के बीच बेहतर संबंध बनाने में मदद की, बल्कि घाटी में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने में भी मदद की और इससे गुरेज घाटी में रोजगार के अवसर बढ़े. पूरे भारत से पर्यटकों और स्थानीय लोगों सहित लगभग 1500 लोगों ने उत्सव में भाग लिया.


सेना के अधिकारियों ने चयनित स्थानीय लोगों को उनके बहुमूल्य योगदान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए सम्मानित किया, जो स्थानीय गुरेज़ियों द्वारा सेना के लिए अंतहीन और अडिग समर्थन का प्रतीक है.


हमें इससे बहुत लाभ हुआ है
एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘अल्लाह का शुक्र है. गुरेज़ में शांति और खुशी की आवाज़ से गूंज रही है. सीज फायर से यहां के लोगों को बहुत फायदा हुआ है, जब गोलीबारी होती थी तो हमें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन जब से सीज फायर हुई है, हमें इससे बहुत लाभ हुआ है, पर्यटन को बढ़ावा मिला है, हजारों पर्यटक गुरेज आए हैं, कई खेल आयोजन हो रहे हैं, उन आयोजनों से हमें गुरेज घाटी को और अधिक बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.


कभी सबसे अस्थिर क्षेत्रों में शामिल था गुरेज
उत्तरी कश्मीर का गुरेज सेक्टर नियंत्रण रेखा के करीब सबसे अस्थिर क्षेत्रों में से एक हुआ करता था. यह आतंकवादियों का पारंपरिक मार्ग था और लगातार संघर्ष विराम उल्लंघनों से प्रभावित था. जैसे-जैसे सीमाओं पर शांति बनी, गुरेज़ घाटी के सबसे अच्छे ऑफबीट स्थलों में से एक बन गया और पिछले साल इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑफबीट पर्यटन स्थल का पुरस्कार भी दिया गया.


बंदूकों से लेकर खेल के मैदान और त्यौहारों तक सीमा घाटी गुरेज के पास आजकल बताने के लिए अलग-अलग कहानियां हैं.