Indus River Treaty: सिंधु जल संधि में बदलाव की मांग को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत सरकार ने जलसंधि में बदलाव की मांग को लेकर पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है. नोटिस में उन परिस्थितियों में मूलभूत बदलावों के बारे में बताया गया है, जिनके लिए संधि की समीक्षा की जरूरत है. यह जलसंधि साल 1960 में हुई थी. भारत सरकार ने जनवरी 2023 में भी पाकिस्तान को नोटिस भेजा था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारत-पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जलसंधि के मुताबिक, 'पूर्वी नदियों यानी-रावी, ब्यास और सतलुज नदी का पानी भारत को अप्रतिबंधित इस्तेमाल के लिए आवंटित किया गया है,. दूसरी ओर पश्चिमी नदियों जैसे- झेलम, चेनाब और सिंधु का पानी पाकिस्तान के लिए है.'


पाकिस्तान खड़ी कर सकता है आपत्ति


यह संधि भारत को पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट्स के जरिए हायड्रो इलेक्ट्रिसिटी पावर जनरेट का अधिकार देती है, जो खास डिजाइन और संचालन मानदंडों के अधीन है. पाकिस्तान के पास यह अधिकार है कि वह इन नदियों पर भारत के हायड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स पर आपत्ति खड़ी कर सकता है. 


इस संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु ड्रेनेज सिस्टम का करीब 80 फीसदी पानी मिलता है. जबकि भारत को इंडस सिस्टम के 16.8 करोड़ एकड़ फीट पानी में से 3.3 करोड़ मिलता है. फिलहाल भारत अपने हिस्से के सिंधु नदी के पानी का 90 फीसदी के ज्यादा हिस्सा इस्तेमाल कर लेता है. 


भारत सिंधु नदी सिस्टम के पानी का लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में इस्तेमाल करता है. इन राज्यों को पानी यमुना नदी से मिलता है. 


सिंधु नदी से होता है पाकिस्तान का गुजारा


दूसरी ओर पाकिस्तान बहुत ज्यादा हद तक सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है खासकर पंजाब प्रांत में, जो बाकी देश का पेट भरता है. जब भी भारत अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल करने या फिर बांध बनाने की कोशिश करता है तो पाकिस्तान आपत्ति जताता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ जाता है. 


सूत्रों के मुताबिक, भारत लगातार कोशिशें कर रहा है कि इस मामले के हल पर पहुंचा जाए, जो दोनों पक्षों को मंजूर हो. लेकिन 2017 से लेकर 2022 के बीच पांच बैठकों में पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर बातचीत से ही मना कर दिया. 


पानी भी स्टोर कर सकता है भारत


सिंधु जलसंधि के तहत, भारत को यह अधिकार है कि वह लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में 13.4 लाख एकड़ की सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण कर सकता है.लेकिन मौजूदा वक्त में सिर्फ 6.42 लाख एकड़ की जमीन की ही सिंचाई हो पाती है. इसके अलावा पश्चिमी नदियों-झेलम, सिंधु और चेनाब का 3.60 मिलियन एकड़ फीट पानी भारत स्टोर कर सकता है. अब तक जम्मू-कश्मीर में पानी को स्टोर करने का कोई जरिया बन नहीं पाया है. संधि के जरिए भारत बिना नदी का पानी रोके झेलम, चेनाब और सिंधु पर बांध बना सकता है. इतना ही नहीं भारत अस्थायी रूप से इन नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए ब्लॉक भी कर सकता है.