श्रीनगर: जम्मू कश्मीर डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि युवाओं को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. कश्मीर में आईएस की बड़ी मौजूदगी नहीं. कुछ तत्व युवाओं के एक वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए बेहद प्रयास कर रहे हैं. सिंह ने बुधवार को कश्मीर में इस्लामिक स्टेट (IS) समूह की किसी भी बड़ी उपस्थिति को खारिज कर दिया, लेकिन कहा कि युवाओं को इसकी विचारधारा के माध्यम से 'कट्टरपंथी' बनाया जा रहा है. 


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“अतीत में भी, आईएस झंडों को को प्रदर्शित करना कोशिश थी यह दिखाने के लिए कि आईएस की घाटी में बड़ी उपस्थिति है, हम फिर से कहेंगे कि उपस्थिति (आईएस की) इतनी बड़ी नहीं है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ लोग इस विचारधारा को आगे बढ़ने की कोशिश में है और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश हो रही है" डीजीपी ने श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह कहा. उन्होंने कहा कि कुछ तत्व बेहद कोशिश में है कि युवाओं के एक वर्ग को कट्टरपंथी बनाया जाए और इसके लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं.


डीजीपी ने कहा “कश्मीर का समाज एक सेक्युलर समाज के रूप में रहा है, बहुत ही इज्जत और एहतराम के साथ यहां के धरमसथलों को देखा गया है, लेकिन कटरपंथी के प्रयास कई दिषाणों से हो रहे जैसा कि कुछ दिन पहले जामिया मस्जिद में देखा गया."  


कुछ नकाबपोश युवकों ने आईएस के झंडे के साथ ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में घुसकर शुक्रवार को हंगामा खड़ा कर दिया था. घटना का एक वीडियो अगले दिन सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मस्जिद की समिति के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं ने भी निंदा की थी. कानून और व्यवस्था की स्थिति पर, डीजीपी ने कहा कि स्थिति 2018 में राज्य भर में कुछ हद तक शांतिपूर्वक थी.


"पुलिस ने अन्य सुरक्षाबलों के साथ मिलकर 2018 में 97 आतंक विरोधी अभियानों को अंजाम दिया, जिनमें से 83 में कोई कोलेट्रल डैमज नहीं हुई जबकि कुछ ऑपरेशनों के दौरान कीमती जान चली गई. वर्ष 2018 में पुलिस के मुताबिक कश्मीर घाटी में 252 आतंकी मारे गए जबकि पुलिस के 45 जवान , सीआरपीएफ के 9 जवान और सेना के 30 जवान शहीद हुए जबकि 44 आम नागरिकों के भी मौत हुई. उन्होंने कहा, "मैं एक बार फिर युवाओं से अपील करता हूं कि जीवन बहुत कीमती है और इसे इस तरह नहीं खोना चाहिए," उन्होंने कहा कि किसी की मौत होना बहुत दर्दनाक होता हैं.