HMPV Virus: देश में HMPV वायरस की जोर शोर से चर्चा हो रही है. जिनके बच्चे छोटे हैं वो डरे हुए हैं. इस बीच आरएमएल (RML) अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर पिनाकी आर देबनाथ (Dr Pinaki R Debnath) ने HMPV वायरस के बच्चों पर पड़ रहे असर और अन्य तकनीकि पहलुओं को लेकर पैरेंट्स की तमाम चिंताओं का समाधान करते हुए अहम जानकारी साझा की है. डॉक्टर पिनाकी ने कहा, 'लोग सबसे पहले ये जान लें कि ये कोई अचानक से आई आफत नहीं है, एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस नया वायरस नहीं है, ये पुराना वायरस है. यह पहले भी अस्तित्व में था. इसलिए आपको घबराना नहीं है'.


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क्या डर की वजह घटनाओं का रिपीटीशन?


आपको बताते चलें कि हम लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं, कि आपको घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है. केंद्र सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, तमाम राज्य सरकारें सब यही कह रही हैं. सरकार की और डॉक्टरों की इस वायरस पर पैनी नजर है. इस हकीकत से इतर जनता के मन में उपजे सवालों की एक वजह ये है लोगों को ये लगता है कि सब कुछ तो 4 साल पहले कोरोना वायरस का पता चलने से लेकर उसके दुनियाभर में फैलने तक वैसा ही घटनाक्रम रिपीट हो रहा है.


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मसलन दिसंबर 2019 में चीन में कोविड-19 का पता चल चुका था लेकिन उसने छिपाया. भारत में जनवरी 2020 में कोरोना के इक्का दुक्का केस का पता चला. इस बार भी दिसंबर 2024 में चीन में एचएमपीवी की दहशत थी. जनवरी में इक्का दुक्का केस भारत में आए. अब कहीं मार्च तक वैसे ही हालात न हो जाएं इसलिए भी लोग डरे हुए हैं. घरों में फिनायल, सैनेटाइजर, डिसइन्फेक्ट करने वाली चीजें और मास्क लाकर रखने की बातें हो रही हैं. HMPV का वायरस बच्चों को ज्यादा चपेट में ले रहा है इसलिए पैरेंट्स पैनिक कर रहे हैं. 


सवाल-  HMPV वायरस लक्षण और निदान क्या हैं? 


डॉक्टर पिनाकी- सर्दी के सीजन में इसके फैलने के लिए अनुकूल माहौल होता है. सर्दी के सीजन में ऐसा होता है. इस वायरस की बात करें तो यह रेस्पिरेटरी आरएनए वायरस है, यह रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है. इस वायरस का इन्फेक्शन तब ज्यादा फैलता है जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इस वायरस का संक्रमण खासकर पांच साल से छोटे बच्चों और 60-65 साल से ज्यादा उम्र के सीनियर सिटिजंस को अपनी चपेट में ले रहा है. क्योंकि इस आयु वर्ग में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. यानी अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, तो वायरस ज्यादा फैलता है. इसलिए, यह बच्चों को ज्यादा चपेट में ले रहा है. इसके लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत यानी श्वसन तंत्र में समस्या हो सकती है. 


सवाल - कितने दिन तक इसका असर रहता है?


डॉक्टर पिनाकी- लक्षणों  की बात करें तो जैसे नाक बंद होना, रनिंग नोज (नाक बहना), आंखें लाल होना और गले में खराश होना. अगर गंभीर स्थिति होगी तो निमोनिया जैसे लक्षण हों सकते हैं, ऐसे में सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. अगर सांस लेने में तकलीफ नहीं है तो सर्दी-खांसी जैसे सामान्य लक्षण होंगे. इसका असर 2-7 दिन तक रहता है और इस अवधि में यह अपने आप ठीक हो जाता है.


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सवाल  - क्या इसकी कोई दवा है..इससे कैसे बचें?


डॉक्टर पिनाकी- इसके लिए कोई एंटी-वायरल दवा नहीं है. इसका इलाज, डॉक्टर लक्षण देख कर करते हैं. ह


सवाल - इसे कैसे रोक सकते हैं?


डॉक्टर पिनाकी- सावधानी बरतकर जैसे- अगर आप भीड़भाड़ वाली जगह पर जा रहे हैं, तो मास्क लगाकर जाइए. अगर वहां कोई संक्रमित व्यक्ति दिख रहा हो या उसे सर्दी के लक्षण हों तो उससे दूरी बनाए रखें और उससे हाथ न मिलाएं. समय-समय पर अपने हाथ धोएं और खांसते या छींकते समय शिष्टाचार का पालन करें. इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी. अगर किसी में लक्षण हैं, तो उसे Antipyretic दिया जा सकता है. अगर बुखार है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए. यहां पर आपको ये ध्यान रखना होगा कि अगर लक्षण बिगड़ते हैं, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए'


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