भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अगले साल जनवरी 2024 में एक यूरोपीय स्पेसक्राफ्ट बिकिनी को अपने पीएसएलवी रॉकेट (PSLV rocket) से लॉन्च करेगा. इस स्पेसक्राफ्ट का नाम बिकिनी (bikini) है. यह यूरोपीय स्टार्टअप द एक्सप्लोरेशन कंपनी द्वारा बनाया गया है. बिकिनी वास्तव में इस कंपनी के बड़े रीयूजेबल री-एंट्री मॉड्यूल निक्स का छोटा वर्जन है.


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इसरो द एक्सप्लोरेशन कंपनी के री-एंट्री व्हीकल 'बिकिनी' को अपने पीएसएलवी रॉकेट से धरती की सतह से 500 किलोमीटर ऊपर ले जाकर छोड़ेगा. बिकिनी फिर से पृथ्वी की ओर लौटेगा और इस दौरान उसकी री-एंट्री को लेकर कई जांच-पड़ताल की जाएगी. बिकिनी का वजन मात्र 40 किलोग्राम है और वह समुद्र में गिरेगा. द एक्सप्लोरेशन कंपनी का मकसद अपने बिकिनी स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष में डिलीवरी करना है. अगर बिकिनी जनवरी के री-एंट्री मिशन में सफल होता है, तो इससे कमर्शियल उड़ानों की नई दुनिया का दरवाजा खुल जाएगा. यानी अंतरिक्ष में किसी भी सामान की डिलिवरी सस्ते में हो सकेगी.


एरियनस्पेस से छीना डील
पहले यूरोपियन एरियनस्पेस कंपनी को बिकिनी मिशन दिया गया था, लेकिन एरियन 6 रॉकेट के विकास में देरी के कारण भारत की न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को यह मिशन सौंप दिया गया. बिकिनी को पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण में लगाया जाएगा और फिर अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. बिकिनी फिर से पृथ्वी पर लौटेगा.


POEM का होगा इस्तेमाल
इस मिशन से द एक्सप्लोरेशन कंपनी को री-एंट्री और रिकवरी टेक्नोलॉजी के बारे में महत्वपूर्ण डेटा मिलेगा. इस डेटा का उपयोग करके कंपनी भविष्य में और भी बेहतर टेक्नोलॉजी विकसित कर सकेगी. पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण (PS4) का उपयोग हाल ही में पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) के लिए किया गया था. माना जा रहा है कि इस मिशन के लिए बिकिनी को 500 किलोमीटर के आसपास छोड़ा जाएगा. पीएस4 फिर बिकिनी को डीबूस्ट करते हुए ऑर्बिट छोड़ेगा. उसके बाद 120 या 140 किलोमीटर की ऊंचाई पर आने के बाद बिकिनी को छोड़ देगा. बिकिनी सीधे समुद्र में गिरेगा.