India Iran Relations: ईरान के लिए जरूरी है भारत से बेहतर संबंध, तेवर दिखाने की गलती पड़ेगी भारी, जानें क्यों?
Iran News: ईरान के बासमती चावल न लेने के फैसले ने भारत कौ चौंकाया है. इसकी वजह यह है कि दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत काफी सस्ते दरों पर ईरान को चावल देता है.
India and Iran: ईरान ने भारत से चाय और बासमती चावल का आयात रोक दिया है. बताया जा रहा है कि ईरान ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि भारत ने ईरान से कुछ फलों जैसे आडू और कीवी का आयात कम कर दिया था. हालांकि ईरान के बासमती चावल न लेने के फैसले ने खासतौर से भारत कौ चौंकाया है. इसकी वजह यह है कि दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत काफी सस्ते दरों पर ईरान को चावल देता है. ईरान के इस फैसले के बाद सरकार हरकत में आ गई है.
ईरान के इन तेवरों से भारत सरकार हैरान तो है लेकिन जानकार मानते हैं कि ईरान के लिए भारत से संबंध बिगाड़ना काफी भारी पड़ सकता है. ईरान, भारत से आयरल और स्टील के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मशीनरी, परमाणु रिएक्टर्स बॉयलर्स और जानवरों का चारा आयात करता है. जानकारों के मुताबिक दोनों देश बेहतर संबंधों के जरिए बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं.
भारत चाहता है अच्छे संबंध
भारत के ईरान के साछ अच्छे संबंध चाहता है. इस साल जून में जब ईरान के विदेश मंत्री अमीर अब्दोल्लाहियान भारत आए तो उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. इस दौरान पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों पर जोर दिया था. बता दें कि प्रधानमंत्री हर देश के विदेश मंत्री से नहीं मिलते हैं लेकिन उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री से विशेष तौर पर मुलाकात की थी.
भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने रिश्ते रहे हैं. 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले तक दोनों देश एक बॉर्डर साझा करते थे. दोनों देशों के बीच 15 मार्च 1950 में राजनयिक संबंध कायम हुए. हालांकि शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच कुछ दूरियां रहीं क्योंकि जहां भारत रूस के करीब था तो ईरान का रुख अमेरिका के लिए नरम था.
शीत युद्ध के बाद बेहतर हुए रिश्ते
शीत युद्ध खत्म होने के बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होने शुरू हुए. भारत, रूस और ईरान ने साल 2000 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत भारत को मध्य एशिया और रूस में व्यापार करने का रास्ता मिल गया.
2006 में रिश्तों में आया तनाव
दोनों देशों के बीच बेहतर होते रिश्तों पर ब्रेक 2006 में लगा जब भारत ने ईरान के खिलाफ इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) में परमाणु कार्यक्रम पर वोट किया. भारत ने तेल के आयात में 40 फीसदी तक कटौती कर दी थी और पाकिस्तान के रास्ते आने वाली गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट से भी पीछे हट गया. माना जाता है कि भारत ने ये कदम अमेरिका के दवाब में उठाए.
हालांकि साल 2008 में भारत ने अमेरिका के दबाव को दरकिनार कर ईरान को लेकर एक स्वतंत्र नीति अपनाई और उसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध फिर सुधरने लगे.
ईरान के साथ खड़ा रहा भारत
2008 में ईरान को लेकर स्वतंत्र नीति अपनाने के बाद भारत ने उसका पालन किया. भारत की तरफ से वीजा नीति को बदला गया, निवेश को बढ़ाया गया, चाबहार बंदरगाह पर भारत एल्यूमिनियम और यूरिया का प्लांट लगाए जाने की तैयारी में है. 2016 पीएम मोदी ने ईरान की यात्रा की जिससे भी दोनों देशों के बीच रिश्तों को और बल मिला.
2018 में अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने ईरान से तेल खरीदा. भारत ने साफ कर दिया कि वह सिर्फ यूनाइटेड नेशंस (UN) की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों को मानता है. अमेरिका के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को वह नहीं मानता है.
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