Ratna Bhandar of Jagannath Temple: पुरी के जगन्नाथ मंदिर के अधिकारियों ने आज मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. दरअसल, 12वीं सदी के इस प्रतिष्ठित मंदिर में आज रत्न भंडार (कोषागार) के अंदर वाले कमरे से कीमती सामान को अस्थायी 'स्ट्रांग रूम' में शिफ्ट किया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी. मंदिर के तहखाने में रत्न भंडार है और उसमें एक बाहरी और एक आंतरिक कक्ष बना है. 


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श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख अरबिंद पाधी ने बताया है कि बृहस्पतिवार को रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को फिर से खोलने की व्यवस्था की गई है इसलिए हमने मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. आज सुबह आठ बजे के बाद किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. 


उन्होंने कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों और सेवकों को ही सुबह 8 बजे के बाद मंदिर में प्रवेश की अनुमति होगी और बृहस्पतिवार को मंदिर का केवल सिंह द्वार खुला रहेगा. पाधी ने कहा कि वर्षों से भक्तों द्वारा भगवान को दान की गई बहुमूल्य वस्तुओं को मंदिर परिसर के अंदर अस्थायी 'स्ट्रांग रूम' में ले जाया जाएगा.


अब तक के अपडेट


आज रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष फिर खोला जाएगा और आभूषणों को मंदिर में ही अस्थायी कोषागार में शिफ्ट किया जाएगा.


- रत्न भंडार को 46 साल के बाद रविवार को बहुमूल्य वस्तुओं की सूची बनाने और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए खोला गया था.


- राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने पहले ही बताया था कि 18 जुलाई को सुबह 9 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के बीच फिर से ताले खोलेंगे और भीतरी रत्न भंडार में प्रवेश करेंगे.


- आंतरिक कक्ष में रखे मूल्यवान सामान को अस्थायी भंडार कक्ष में स्थानांतरित कर दिया जाएगा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सदस्य इसकी संरचनात्मक मजबूती का भी आकलन करेंगे.  पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी की जाएगी.


- चूंकि सभी बक्सों को शिफ्ट करना व्यावहारिक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण है इसलिए इन बक्सों में रखे कीमती सामान और आभूषणों को मंदिर परिसर में स्थापित अस्थायी कोषागार में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. 


- न्यायमूर्ति रथ ने बताया है कि इस अस्थायी कोषागार में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ ही आवश्यक सुरक्षा उपाय किए गए हैं. 


कहानी रत्न भंडार की


रत्न भंडार को सबसे पहले ब्रिटिश प्रशासन ने 1905 में खोला था. 1926 में आभूषणों का रिकॉर्ड तैयार किया गया. इसके बाद ओडिशा गवर्नर भगवत दयाल शर्मा के समय में 1978 में इसे खोला गया. पूरा रिकॉर्ड तैयार करने में तब 70 दिन लगे थे. 2018 में बीजेडी सरकार ने कोशिश की थी लेकिन भंडार की चाबी गायब हो गई थी. 


रत्न भंडार में तीन तरह की कीमतें चीजें रखी हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि अंदर 180 तरह के आभूषण हो सकते हैं, जिसमें 70 शुद्ध सोने के हैं और इनका वजन 1.2 किग्रा से ज्यादा हो सकता है.