'ज्ञानवापी' साक्षात 'विश्वनाथ' हैं... जब CM योगी ने सुनाई शंकराचार्य की 2000 साल पुरानी कहानी
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'ज्ञानवापी' साक्षात 'विश्वनाथ' हैं... जब CM योगी ने सुनाई शंकराचार्य की 2000 साल पुरानी कहानी

Yogi Adityanath News: गोरखपुर में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया है. योगी ने कहा, 'ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ है कुछ दूसरे लोग इसे मस्जिद कहते हैं'.

'ज्ञानवापी' साक्षात 'विश्वनाथ' हैं... जब CM योगी ने सुनाई शंकराचार्य की 2000 साल पुरानी कहानी

Yogi Adityanath and Gyanvapi: मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी में नाथ पंथ पर आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दिया है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ हैं. दुर्भाग्‍य से ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्‍दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन वास्‍तव में ज्ञानवापी साक्षात विश्‍वनाथ जी ही हैं. यही विश्‍वनाथ धाम है. योगी ने कहा, 'नाथ परंपरा ने हमेशा सबको जोड़ने की कोशिश की है. गुरु गोरखनाथ ने अपने समय में राष्ट्रीय एकता की ओर ध्यान आकर्षित किया था.'

योगी ने सुनाया भगवान शंकराचार्य का किस्सा

अपनी बात को बढाते हुए योगी ने कहा, 'शंकराचार्य जी (Shankaracharya) ने भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना की. वो काशी आए तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही. एक दिन सुबह ब्रह्ममुर्हत में आदिशंकराचार्य गंगा स्नान के लिए जा रहे थे, अचानक एक कथित रूप से अस्प्रश्य कहा जाने वाला व्यक्ति उनके सामने आ जाता है. उसे देख उनके मुंह से निकलता है- 'हटो'. तब उसने पूछा, आप किसे हटाना चाह रहे हैं? आपका ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रहा है या ब्रह्म को देख रहा है. अगर ब्रह्म सत्य है तो वह ब्रह्म मेरे अंदर भी है. अगर इस ब्रह्म सत्य को जानकर आप ठुकरा रहे हैं तो ये सत्य नहीं है. इतना सुनते ही आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) ने पूछा - 'आप कौन हैं'? तब जाकर उन्होंने कहा कि जिस ज्ञानव्यापी की साधना के लिए वो काशी आए हैं, मैं वहीं विश्वनाथ हूं. ये सुनकर शंकराचार्य नतमस्तक हो गए. दुर्भाग्य है कि आज लोग उसे मस्जिद कहते हैं'.

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कौन हैं शंकराचार्य?

आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म आठवीं सदी में केरल के कालड़ी गांव में हुआ था. उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था. माना जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने शंकराचार्य के रूप में अवतार लिया था. उनका जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी को हुआ था. भगवान शंकराचार्य की कथा निराली है. वो 8 साल के ही थे तब उन्होंने देखा कि उसकी मां को पानी लाने के लिए गांव से दूर नदी तक जाना पड़ता है, वह मां को इतनी दूर परिश्रम करने जाता देख व्यथित था. तब उसने गांव से दूर बहने वाली नदी को गांव के पास मोड़ दिया. वो कोई साधारण बालक न होकर आदि शंकराचार्य थे, जिन्होंने चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की थी.

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