Jama Masjid Delhi:  आज से तीन साल बाद जब आप पुरानी दिल्ली देखेंगे तो बड़ा बदलाव नजर आएगा. इस इलाके की पहचान लाल किला, चांदनी चौक और जामा मस्जिद है. लेकिन संकरी गलियां, बिजली के तारों का जाल, संकरी गलियां और भीड़भाड़ भी एक पहचान है, पुरानी दिल्ली के इलाकों के संवारने के लिए शाहजहांबाद रिडेवलपमेंट कार्पोरेशन का गठन किया गया है. इसके जरिए जामा मस्जिद के अगल बगल वाले इलाके की सूरत और सीरत बदलने की जिम्मेदारी है.


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2005 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पूरे इलाके के विकास के लिए आदेश जारी किया था. 2018-19 के दौरान जामा मस्जिद रिडेवलमेंट का बीड़ा उठाया गया. लेकिन 2020 में ऑर्किटेक्ट के निधन के बाद योजना पर विराम लग गया. अब एक बार फिर आर्किटेक्ट की नियुक्ति के साथ जामा मस्जिद विकास योजना को रफ्तार मिली है.


क्या है प्रोजेक्ट की खासियत


  • यह पूरा प्रोजेक्ट 12 हेक्टेअर में फैला है.

  • तीन साल में इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारा जाएगा

  • प्रोजेक्ट के तहत वॉकवे और ट्री प्लांटेशन पर खास जोर

  • पॉर्किंग की दिशा में खास काम

  • टूरिस्ट इंटरप्रिटेशन सेंटर गठित की जाएगी

  • मल्टीपर्पज एक्टिविटी के लिए प्लाजा

  • कम्यूनिटी यूज के लिए ओपन स्पेस

  • महिलाओं और पुरुषों के लिए यूटिलिटी का निर्माण

  • सेक्यूरिटी और इंफॉर्मेशन पोस्ट


इस विभाग को मिली है जिम्मेदारी


इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग के पास होगी. जामा मस्जिद विकास के लिए पुरानी योजना में कुछ नए बदलाव भी होंगे. इसमें शेख कलीमुल्लाह, उभरे शाह, जनरल शाह, नवाज खान और मीना बाजार का भी विकास किया जाएगा. बता दें कि चांदनी चौक रिडेवलपमेंट के बारे में 2 साल पहले सोचा गया था. लेकिन पुनर्विकास के बाद भी खराब रखरखाव और प्रबंधन की शिकायत आती रहती है. इसे देखते हुए इसमें भी खास बदलाव पर काम करने की बात कही गई है.


इतना भव्य है जामा मस्जिद

जामा मस्जिद की लंबाई और चौड़ाई 65 और 35 मीटर है, इसके आंगन में करीब 100 वर्ग मीटर जगह है. इसमें दो मीनारें हैं जिनकी ऊंचाई 40 मीटर है.इसके अलावा चार छोटी मीनारें भी हैं. मस्जिद में उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिशा में कुल तीन दरवाजे हैं. इसे बनाने के लिए सैंड स्टोन, और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था. मस्जिद को बनाने में साढ़े चार मजदूर और करीब 10 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.


शाहजहां ने बनवाया था जामा मस्जिद

जामा मस्जिद का निर्माण साल 1644 में मुगल बादशाह शाहजहां ने शुरू कराया था. करीब 12 साल की मेहनत के बाद इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था. यह  भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक है. इस मस्जिद के आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी थे. अकबर के बाद शाहजहां के बारे में कहा जाता है कि उसे बिल्डिंगों के निर्माण में बेहद रुचि थी. वो अक्सर आर्किटेक्ट के साथ बेहतरीन भवनों के निर्माण की चर्चा किया करता था. अगर बात जामा मस्जिद के निर्माण की करें तो लाल किले के बनने के साथ ही उसने मस्जिद बनाने के बारे में सोचा था.