jammu and kashmir News: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर सरकार गठन के बाद भी बहस थमने का नाम नहीं ले रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के अपने रुख में लचीलापन लाया तो नेशनल कॉन्फ्रेंस इसी पर भड़की हुई है. अब कांग्रेस ने भी उमर सरकार को घेरते हुए कहा है कि सरकार बनने एक महीने बाद भी सरकारी काम-काज को लेकर कोई नियमावली नहीं बनी है. 


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कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश में शासन को अस्पष्ट करार देते हुए दावा किया कि सरकार गठन के एक महीने बाद भी शासन की शर्तें परिभाषित नहीं हैं. सत्ता में बैठे लोग अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को लेकर स्पष्ट नहीं हैं.


कर्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये एक इंरव्यू में कहा कि कांग्रेस जम्मू संभाग में हाल के विधानसभा चुनाव में अपनी हार के पीछे के कारणों पर मंथन करने के लिए एक बड़ी पहल कर रही है. उन्होंने बताया कि इसके तहत पार्टी ने क्षेत्र के 10 जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक समिति का गठन किया है.


कर्रा ने कहा कि यह (दोहरी सत्ता व्यवस्था) कोई स्थायी स्थिति नहीं है. जम्मू-कश्मीर पहली बार इस तरह के हालात का सामना कर रहा है. जिन लोगों को शक्तियां सौंपनी हैं और जिनसे उनका प्रयोग करने की अपेक्षा की जाती है, वे अपनी भूमिकाओं को लेकर समान रूप से अनिश्चित हैं. मुझे लगता है कि यह मुद्दा पहले ही संवैधानिक विशेषज्ञों या यहां तक ​​कि दिल्ली में गृह मंत्रालय तक पहुंच चुका होगा. 


कांग्रेस नेता ने उम्मीद जताते हुए कहा कि स्थिति जल्द ही सुलझ जाएगी. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन अब भी अस्पष्ट बना हुआ है. मुझे उम्मीद है कि एक सप्ताह या 10 दिनों के भीतर स्पष्टता सामने आ जाएगी, लेकिन तब तक सब कुछ अस्पष्ट और अनिश्चित स्थिति बनी रहेगी. कर्रा ने सरकारी कामों के लिए नियमावली जारी करने में देरी को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि सरकार गठन के एक महीने बाद भी शासन की शर्तों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. सत्ता की स्पष्ट समझ के बिना कोई कैसे प्रभावी ढंग से काम कर सकता है?


कर्रा ने कांग्रेस द्वारा नेशनल कांफ्रेंस को समर्थन दिए जाने के मुद्दे पर कहा कि उनका समर्थन सिद्धांतों पर आधारित है, मंत्री पद की आकांक्षा पर नहीं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारा ध्यान राज्य का दर्जा बहाल करने (जम्मू-कश्मीर को) पर है, क्योंकि तभी पहले लागू किए गए कानूनों की समीक्षा की जा सकेगी. इनमें से कुछ कानून लाभकारी हैं, जबकि अन्य लोगों के अनुकूल नहीं हैं. इन चिंताओं को दूर करने के लिए राज्य का दर्जा आवश्यक है. 


जम्मू में चुनावी हार के बाद कांग्रेस की रणनीति पर कर्रा ने नतीजों को अप्रत्याशित बताया, लेकिन कश्मीर में पार्टी के प्रदर्शन की सराहना की. उन्होंने कहा कि हमने चुनाव में मिली असफलता के कारणों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है. वे इस समय राजौरी सहित जिलों का दौरा कर रहे हैं और एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेंगे. कर्रा ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम कमजोरियों की पहचान करेंगे और जरूरी कदम उठाएंगे. 


कर्रा ने यह भी कहा कि वह सभी स्तरों पर पार्टी कार्यकर्ताओं से संपर्क कर रहे हैं, उनसे विचार-विमर्श कर रहे हैं और उनसे फीडबैक ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और सहयोगी संगठनों से मुलाकात की है. 18 नवंबर को मैं चार या पांच जिलों के ब्लॉक स्तर के अध्यक्षों से मिलूंगा. धीरे-धीरे हमारा लक्ष्य जमीनी स्तर पर अपने संपर्क को मजबूत करना है.