टोक्‍यो: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर आरोप लगा है कि हीरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले की वर्षगांठ से जुड़े दो आयोजनों में उन्होंने एक जैसा भाषण दिया है. जापान के प्रमुख अखबार मैनिची शिम्बून के मुताबिक, एक प्लेगरिज्म डिटेक्शन एप (साहित्य चोरी पकड़ने की एप्लीकेशन) के जरिए पता चला है कि शिंजो आबे ने रविवार को नासागाकी में जो भाषण दिया था, उसमें तीन दिन पहले हीरोशिमा में दिए हुए भाषण से 93 फीसदी हिस्सा लिया गया था.


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गार्जियन के मुताबिक, शिंजो आबे की ऑफीशियल वेबसाइट पर उनके भाषणों के अंग्रेजी संस्करणों में भी बड़े स्तर की ये नकल साफ पता चलती है. शुरूआती पैरा में उन्होंने हर शहर के नाम का उल्लेख किया और कहा कि, ‘’मैं बड़ी संख्या में परमाणु बम पीड़ितों की आत्माओं के प्रति अपनी गंभीर संवेदना व्यक्त करता हूं, मुझे उन लोगों के प्रति भी गहरी सुहानुभूति है जो परमाणु बम के दुष्प्रभावों को आज तक झेल रहे हैं’’, समारोहों के शीर्षकों से लेकर वाक्यों के शब्द तक मेल खाते हैं.


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हिबाकुशा का आक्रोश
हालांकि युद्ध में जापान की हार के बाद अलग-अलग शहरों ने कैसे खुद का पुनर्निर्माण किया, इसका उल्लेख करते वक्त शिंजो आबे ने अलग-अलग शब्दावली का इस्तेमाल किया. 6 अगस्त 1945 को हीरोशिमा पर हुए हमले में फौरन और उसके कुछ महीने बाद भी, कुल 1,40,000 लोगों की मौत हुई थी, जबकि उसके तीन दिन बाद हुए नागासाकी पर हमले में 74000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.


शहरों के नामों के अलावा, बयानों के समापन में शिंजो आबे ने एक जैसी ही शब्दावली का उपयोग किया, जिसमें आबे ने ‘बिना नाभिकीय हथियारों’ वाली दुनियां की उम्मीद जताई. गार्जियन के मुताबिक, हर शहर में दिए गए बयानों को ना बदलने के स्पष्ट फैसले ने परमाणु बम विस्फोट पीड़ितों में आक्रोश भर दिया, इन लोगों को वहां हिबाकुशा के नाम से जाना जाता है.


नागासाकी की हिबाकुशा लायजन काउंसिल के प्रमुख कोइची कवानो ने मैनिची शिम्बून को बताया कि, ‘ये हर साल एक जैसा ही होता है’, वो आगे कहते हैं, ‘वो बेमतलब का बोलते हैं और चले जाते हैं, मानो कहते हों कि तुम अब जाओ, अलविदा, वो बस हीरोशिमा शब्द को नागासाकी से बदल देते हैं. वो परमाणु बम पीड़ितों का अपमान कर रहे हैं’.


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