Jogi Mahal History: रणथंभौर नेशनल पार्क के भीतर रोपवे चलाने की तैयारी है. राजस्थान सरकार ने बजट में इसके लिए डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की है. जोगी महल से लेकर रणथंभौर किले तक क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) में रोपवे का वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरणविद विरोध कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट का मकसद जंगल में स्थित त्रिनेत्र गणेशजी मंदिर तक तीर्थयात्रा को सुगम बनाना है. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह बाघों का एक महत्वपूर्ण प्रजनन क्षेत्र है, जो मानवीय गतिविधियों के कारण बाधित होगा.


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रणथंभौर के इस इलाके में VIP दौरों के बावजूद, यहां बिजली लाने के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया. राजस्थान की पूर्व पर्यटन, पर्यावरण, वन एवं संस्कृति मंत्री बीना काक ने कहा कि घने जंगल के अंदर लटकते बिजली के तार और केबल कार की मौजूदगी न केवल वन्यजीवों के लिए खतरा है, बल्कि आंखों में भी खटकती है.


जोगी महल का इतिहास


जोगी महल करीब 700 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत है. इसे रणथंभौर के राजा ने अपने गुरु, राव हम्मीर के लिए बनवाया था. दो मंजिला इमारत में कुछ आठ कमरे हैं. इसे यह नाम नाथ संप्रदाय के अनुयायियों से मिला है. वर्तमान में, जोगी महल एक फॉरेस्ट रेस्ट हाउस की तरह इस्तेमाल होता है. चूंकि, यह जंगल के बीचो बीच, झील किनारे और बाघों के इलाके में स्थित है, जोगी महल में एंट्री प्रतिबंधित है.


जोगी महल के सामने है मगरमच्छों वाली झील.

जोगी महल के रेस्ट हाउस में अभी तक बिजली भी नहीं है. सामने स्थित झील में मगरमच्छ पाए जाते हैं. 2005 में सरकार ने यहां किसी भी VIP के रात में रुकने पर प्रतिबंध लगा दिया था. जोगी महल के पास में ही देश का दूसरा सबसे बड़ा वट वृक्ष स्थित है.


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पीएम राजीव गांधी की जोगी महल यात्रा


VIPs के रुकने पर बैन से पहले, 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी रणथंभौर आए थे. वे और उनका ग्रुप यहां जोगी महल में रुके थे. पीएम होने के बावजूद, राजीव को किसी तरह की छूट नहीं दी गई थी. उस दौर में, पीएम तक के लिए बिजली की व्यवस्था नहीं की गई थी.


बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन का परिवार भी जोगी महल में रुक चुका है. इसके अलावा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी यहां रुक चुके हैं.