नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एके सीकरी ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल (CSAT) का सदस्य बनने के लिए दी अपनी सहमति को वापस ले लिया है. उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक वह रिटायरमेंट के बाद कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे. हालांकि इस ट्रिब्यूनल में  भारत का प्रतिनिधि बनने की सहमति उन्होंने दिसंबर के पहले हफ्ते में ही दे दी थी. लेकिन इसे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को ट्रांसफर करने का फैसला लेने वाली हाई पावर कमेटी में उनके रहने से जोड़ा गया.


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इंदिरा जय सिंह और कुछ वरिष्ठ वकीलों ने  सवाल उठाया था कि जस्टिस सीकरी को रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेना चाहिए. मीडिया के एक हिस्से में कुछ रिपोर्ट्स के जरिये ऐसा बताने की कोशिश की गई, जैसे उन्हें सरकार का साथ देने का इनाम दिया जा रहा हो. माना जा रहा है कि इस वजह से उन्होंने नियुक्ति के लिए दी अपनी सहमति को वापस ले लिया है.


सूत्रों के मुताबिक इस पद पर नियुक्ति के लिए  जस्टिस सीकरी ने मौखिक तौर पर अपनी मंजूरी पिछले साल दिसंबर के पहले हफ्ते में दी थी. आलोक वर्मा के बारे में फैसला चीफ जस्टिस की बेंच ने आठ जनवरी को लिया था. इस फैसले के मुताबिक उनको सीबीआई डायरेक्टर के पद पर बहाल तो कर दिया गया, लेकिन उनके आगे के  बारे में फैसला हाई पावर कमेटी को लेने के लिए कह दिया गया था.


चूंकि चीफ जस्टिस खुद उस बेंच के सदस्य थे, लिहाजा उन्होंने हाई पावर कमेटी के प्रतिनिधि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस सीकरी को मनोनीत किया. प्रधानमंत्री, जस्टिस सीकरी और मल्लिकार्जुन खड़गे वाली इस कमेटी ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा का ट्रांसफर डीजी फायर सर्विस के तौर पर करने का फैसला लिया था.


क्‍या है CSAT
सीएसएटी (कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल) में रेगुलर बेसिस पर नियुक्ति नहीं होती है. इसके साथ ही इस पद के लिए मासिक कोई सैलरी की व्यवस्था भी नहीं होती. क्योंकि सलाना दो या तीन सुनवाई ही इस ट्रिब्यूनल में संभव हो पाती हैं.