नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस अरुण मिश्रा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट परंपरा के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की बेंच में बैठे. जस्टिस अरुण मिश्रा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दिए जाने वाले विदाई समारोह में कोरोना काल की वजह से शामिल नहीं हुए थे और उन्होंने इस पर असमर्थता जताई थी.


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आज रिटायरमेंट के दिन आखिरी बार कोर्ट में बैठे जस्टिस अरुण मिश्रा के लिए अटॉर्नी जनरल के के. वेणुगोपाल ने विदाई संदेश देते हुए कहा, 'निराशाजनक है कि यह विदाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि वह दिल्ली में ही रहेंगे. अभी सिर्फ 65 वर्ष के ही हैं. पिछले 30 सालों से मेरे जस्टिस अरुण मिश्रा से अच्छे संबंध हैं, हम सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा को मिस करेंगे. हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं.'


साहस और धैर्य का प्रतीक
वहीं मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा, ' एक सहयोगी के रूप में जस्टिस अरुण मिश्रा का साथ होना सौभाग्य की बात है. मैं उनके साथ अदालत में पहली बार बैठा हूं और यह उनके लिए अंतिम बार है, जब वह इस कुर्सी पर बैठे हैं. जस्टिस अरुण मिश्रा अपने कर्तव्यों का पालन करने में साहस और धैर्य का प्रतीक रहे हैं.'


मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर भी मुझे इसका अहसास है कि कर्तव्यों का पालन करते हुए आपने किस तरह की कठिनाईयों का सामना किया. मैं ऐसे लोगों को नहीं जानता, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करने के बाद भी इस तरह बहादुरी से काम किया हो.


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'अपने विवेक के साथ हर मामले को निपटाया'
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मैं जो कुछ भी कर सका वह इस अदालत की सर्वोच्च शक्तियों से हो पाया, मैंने जो कुछ भी किया उसके पीछे आप सभी की शक्ति थी.  मैंने अपने विवेक के साथ हर मामले को निपटाया है.  मैंने बार सदस्यों से बहुत कुछ सीखा है.


कुछ मौकों पर कठोर था...
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कभी-कभी मैं अपने आचरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बहुत कठोर रहा हूं, किसी को चोट नहीं लगनी चाहिए, हर फैसले का विश्लेषण करें और उसे किसी तरह से रंग न दें, अगर मुझसे किसी को चोट लगी है तो कृपया मुझे क्षमा करें, मुझे क्षमा करें, मुझे क्षमा करें.


जस्टिस अरुण मिश्रा, "मैंने हमेशा अंतरात्मा ​की आवाज सुनी. कुछ मौकों पर मैं कठोर था. इसके लिए क्षमा मांगता हूं. पिछले अवमानना मामले में भी अटॉर्नी जनरल चाहते थे कि सजा न दी जाए, पर यह जरूरी था. मैं सबका धन्यवाद करते हुए विदा ले रहा हूं.


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