RJD-JDU Row: बिहार में भले ही महागठबंधन की सरकार है लेकिन बीते एक हफ्ते से वहां का सियासी माहौल टाइट है. ऐसे कई वाकये सामने आ चुके हैं, जिनसे ये लग रहा है कि जेडीयू और आरजेडी के बीच अंदरखाने सब कुछ सही नहीं है. इस बीच 'हम' के नेता और बिहार के पूर्व CM रह चुके जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने बिहार सरकार के टॉप अफसर केके पाठक (KK Pathak) के काम पर लौटने का जिक्र करते हुए सीधे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगाई है.


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'के के पाठक अगर मुख्य सचिव बन जाएं तो...'


हम नेता मांझी ने कहा, 'के.के.पाठक की वापसी बिहार के गरीबों, वंचितों खास कर दलितों की शिक्षा के लिए शुभ संकेत है. वैसे लालू यादव जी का कुनबा नहीं चाहता था कि यह तबक़ा पढ़े. बदलाव के लिए धन्यवाद नीतीश जी. अच्छे काम की तारीफ होनी चाहिए. पाठक जी जैसे पदाधिकारी यदि मुख्य सचिव बन जाएं तो राज्य का भला हो जाएगा.'


ऐसा करके हम के नेता ने जेडीयू और आरजेडी के बीच जारी नूराकुश्ती की खबरों को और हवा दे दी है. 


कौन हैं केके पाठक लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं?


केके पाठक एक कड़े मिजाज अफसर हैं. प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए हर संभव कोशिश की है. उनकी मेहनत अब रंग लाती भी दिख रही है. पाठक सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं. नीतीश कुमार कई बार सार्वजनिक मंच से केके पाठक की जमकर तारीफ कर चुके हैं. पिछले साल पटना के गांधी मैदान में जब नीतीश कुमार ने नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा तो उन्होंने शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव रहे केके पाठक (KK Pathak) की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कितना अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इनके खिलाफ अल बल बोलते हैं. केके पाठक को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा, 'अरे पाठक जी जो एक लाख बीस हजार शिक्षक बहाली बची हुई है, उसको दो महीना के अंदर करवा दीजिए. कीजिए गा न? खड़ा होकर बताइए. आप लोग जान लीजिए दो महीना के अंदर बची हुई शिक्षक बहाली भी शुरू कर दी जाएगी.' नीतीश के इस बयान पर खूब तालियां बजी थीं.


इसके बाद जब वो छुट्टी पर गए तो तमाम अटकलों ने जन्म लिया. जब वो लौटे तो एक्शन मोड में आते हुए संबंधित मातहत लोगों के क्लास लगाने लगे. अब जब जीतन राम मांझी ने उनकी तारीफ करते हुए उन्हें राज्य का मुख्य सचिव बनाने की अपील की है तो एक बार पाठक फिर से लाइम लाइट में आ गए हैं. 


राबड़ी सरकार की आखों की किरकरी थे पाठक


आईएएस बनने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग 1990 में कटिहार में हुई. इसके बाद गिरिडीह में भी एसडीओ रहे. पाठक पहली बार सुर्खियों में तब आए जब गिरिडीह में तैनात थे. वे बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ पद पर तैनात रहे. 1996 में पाठक पहली बार डीएम बने. उन्हें तब गिरिडीह की कमान मिली. राबड़ी देवी के राज में पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी भी मिली. यहां भी पाठक ने ऐसा धमाल मचाया कि सीधे उनकी चर्चा पटना में होने लगी. दरअसल पाठक ने गोपालगंज में एमपीलैड फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया. ये पैसा आया तो था गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव के कोटे से लेकिन उद्धघाटन की तालियां किसी और को मिल गईं तो केके पाठक तत्कालीन सरकार की निगाह में चुभने लगे. गोपालगंज में केके पाठक की हनक से राबड़ी सरकार इतना तंग आ गई कि उन्हें वापस पटना सचिवालय बुला लिया गया. 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बड़ा ओहदा मिला. 


बीते 20 सालों में उनकी गिनती नीतीश के सबसे काबिल और भरोसेमंद अफसरों में होती है. यही वजह है कि मांझी अब उन्हें चीफ सेकेट्री बनाने की मांग कर रहे हैं.