Karnataka Hijab Ban: कर्नाटक में हिजाब पर लगा बैन फिलहाल जारी रहेगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक खंडित फैसला सुनाया. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह फैसला सुनाया. जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक सरकार के बैन को बरकरार रखा और कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, वहीं, जस्टिस धूलिया ने सभी अपीलों को स्वीकार कर लिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.


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जस्टिस गुप्ता ने फैसले में खड़े किए 11 सवाल


जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) ने हिजाब विवाद पर अपने फैसले में 11 सवाल खड़े किए और कहा कि मैं इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले को बरकरार रखता हूं. उन्होंने कहा कि क्या इस मामले को संविधान बेंच को भेजा जाए? क्या शिक्षण संस्थान स्टूडेंट्स के यूनिफॉर्म पर या हिजाब पहनने को लेकर कोई फैसला कर सकता है? हिजाब पर बैन लगाना क्या आर्टिकल 25 का उल्लंघन है? क्या छात्रों को अनुच्छेद 19, 21, 25 के तहत वस्त्र चुनने का अधिकार मिले? अनुच्छेद 25 की सीमा क्या है?


उन्होंने आगे कहा कि क्या सरकार के आदेश से मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है? क्या छात्राओं की ये मांग कि धार्मिक पहचान की चीजों को मूलभूत अधिकार माना जा सकता है? व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार की व्याख्या किस तरह से की जाए? क्या सरकार के आदेश से शिक्षा का उद्देश्य सही मुकाम पर पहुंचती है? मेरे अनुसार इसका उत्तर ये है कि इस याचिका को खारिज कर दिया जाए.



जस्टिस धूलिया ने बताया पसंद का मामला


न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) ने कहा कि मेरे फैसले का मुख्य जोर यह है कि विवाद के लिए आवश्यक धार्मिक प्रथा की पूरी अवधारणा जरूरी नहीं है और हाई कोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया. उन्होंने कहा, हिजाब पहनना या ना पहनना पसंद का मामला है, न ज्यादा और न ही कम. उन्होंने कहा कि मैंने 5 फरवरी के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया है और प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया है.


न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि उनके दिमाग में ये बात थी कि क्या हम एक छात्रा की शिक्षा के मामले में इस तरह के प्रतिबंध लगाकर उसके जीवन को बेहतर बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुरान की व्याख्या करने की जरूरत नहीं है. लड़कियों के चॉइस का सम्मान करना चाहिए. लड़कियों शिक्षा मिल सके, ये जरूरी है न कि ये जरूरी है कि उनको क्या ड्रेस पहनना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि कई इलाकों में लड़कियां स्कूल जाने से पहले घर का काम भी करती हैं. अगर हम इसपर बैन लगाते हैं तो लड़कियों की जिंदगी और मुश्किल होंगी.


हिजाब बैन पर आगे क्या होगा?


बता दें कि हिजाब बैन (Hijab Ban) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से खंडित फैसला आने के बाद कर्नाटक में हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला लागू रहेगा और राज्य के शिक्षण संस्थानों में लगा हिजाब बैन फिलहाल अगले आदेश तक जारी रहेगा. अब हिजाब बैन पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित (CJI UU Lalit) बड़ी बेंच का गठन करेंगे और बड़ी बेंच हिजाब पर आगे सुनवाई कर सकती है.


क्या है पूरा मामला और कैसे हुआ शुरू?


कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab Row) इस साल जनवरी उडुपी के एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था. मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था. इसके बाद कर्नाटक के दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया. मामला अदालत तक पहुंचा और कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी. 15 मार्च को फैसले में हाईकोर्ट में दलील दी गई कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है. लिहाजा स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म के पालन कराना राज्य का आदेश सही है. उस फैसले के बाद भी विवाद नहीं थमा और मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा.


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