नई दिल्ली: टेरर फंडिंग (Terror Funding) मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ी कार्रवाई की है. इस सिलसिले में जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के 45 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. एजेंसी सूत्रों ने बताया कि टेरर फंडिंग केस में ये अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है. जानकारी के मुताबिक, इस मामले में NIA जम्मू-कश्मीर के 14 से ज्यादा जिलों में छापेमारी कर रही है, जिसमें जम्मू (Jammu) भी शामिल है. 


'जमात-ए-इस्लामी' पर शिकंजा


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दक्षिण कश्मीर में भी इसी सिलसिले में बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो रही है. इसी दौरान जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-E-Islami) के ठिकानों पर की जा रही है. केंद्र सरकार ने 2019 में इस संगठन पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी जम्मू-कश्मीर में संगठन की गतिविधियां चल रही थीं. जमात एक पाकिस्तान और अलगाववाद समर्थक संगठन है, जो प्रतिबंध के बावजूद काम कर रहा था.


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क्या है टेरर फंडिग मामला


दरअसल जम्मू-कश्मीर से 370 और 35 A हटने के बाद से पाकिस्तान (Pakistan) बौखलाया हुआ है. सीमा पार से उसकी आतंकी गतिविधियों पर भी सेना और सुरक्षा बलों ने नकेल कस दी है. आतंकी घुसपैठ में भारी कमी आई है. कश्मीर में नई आतंकी भर्ती में भी भारी कमी आई है. हालात ये हैं कि अब उसे ड्रोन के जरिए अपने गुर्गों तक हथियार पहुंचाने पड़ रहे हैं. वहीं पहाड़ी से हथियार नीचे गिराये जा रहे है. ये सब पाकिस्तान की बौखलाहट को दिखाता है.



विदेशों से आ रही थी रकम


गृह मंत्रालय (MHA) से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जमात, हेल्थ और एजुकेशन के क्षेत्र में काम करने के नाम पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के जरिए दुबई और तुर्की जैसे देशों से फंड ले रहा था जिसका इस्तेमाल आतंक फैलाने में होता था. बताया जा रहा है कि हाल ही में जमात ने नए अलगाववादियों और आतंकियों की भर्ती के लिए एक सीक्रेट मीटिंग भी की थी. इसी सब में इस्तेमाल होने वाली फंडिंग की जांच NIA कर रही है.


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