Jammu Kashmir Target Killing: जब से जम्मू कश्मीर से धारा-370 हटी है. तब से घाटी में कई पॉजिटिव बदलाव हुए हैं, जो दिख भी रहे है. लेकिन धारा-370 से मुक्त कश्मीर. अभी भी कश्मीरी पंडितों और दूसरे राज्यों से काम करने के लिए आने वाले लोगों के लिए भयमुक्त कश्मीर नहीं बन पाया है. श्रीनगर में बुधवार शाम 7 बजे के करीब आतंकियों ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया. आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को गोली मार दी. इस आतंकी हमले में अमृतसर के रहने वाले अमृतपाल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अमृतसर के ही रहने वाले रोहित को जख्मी हालत में श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान आज रोहित भी जिंदगी की जंग हार गया.


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अमृतपाल और रोहित लकड़ी का काम करते थे. कल शाम जिस वक्त आतंकियों ने श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में फायरिंग की उस वक्त अमृतपाल और रोहित वहीं खड़े थे. बताया जा रहा है कि हमलावरों ने सात गोलियां चलाई और हमला कर बाइक से फरार हो गए. हमले के बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है...और आतंकियों की तलाश की जा रही है. जम्मू कश्मीर पुलिस की Special Operations Group मामले की जांच कर रही है. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन TRF यानि 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली है...TRF के आतंकियों ने पहले भी घाटी में आम लोगों को निशाना बनाकर दहशत फैलाने की कोशिश की है....


गैर कश्मीरियों और कश्मीरी पंडितों को
आतंकियों के निशाने पर अल्पसंख्यक यानी कश्मीर में रहने वाले हिंदू है, या फिर वो लोग है जो दूसरे राज्यों से आकर घाटी में काम कर रहे है...काफी समय से आतंकी टारगेट किलिंग के ज़रिए गैर कश्मीरियों और कश्मीरी पंडितों को अपना निशाना बना रहे हैं और आतंक की ठंडी पड़ती आग को फिर से ज़िन्दा करने की कोशिशे कर रहे है. श्रीनगर में हुआ हमला भी उसी का एक हिस्सा है.


अमृतपाल और रोहित श्रीनगर में लकड़ी का काम करते थे, ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके, लेकिन परिवार को भी नहीं पता था कि अब श्रीनगर से अमृतपाल और रोहित जिंदा नहीं लौटेंगे...दोनों युवक अमृतसर जिले के अजनाला ब्लॉक के चम्यारी गांव के रहने वाले थे. जैसे ही इनकी मौत की खबर गांव में पहुंची पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. परिवार का रो रोकर बुरा हाल है.


उन लोगों को टारगेट कर रहे हैं जो
सच्चाई ये है कि आतंकवादियों को चिढ़ कश्मीरी पंडितों से नहीं है, बल्कि कश्मीर में आते बदलाव से है. इसलिए पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी भी उन लोगों को टारगेट कर रहे हैं जो कश्मीर में शांति की बात करते है..


- गैर मुस्लिम, खासकर कश्मीरी पंडितों को टारगेट कर रहे हैं.
- बीजेपी कार्यकर्ता और स्थानीय निकाय में चुने गए लोग भी आतंकियों के टारगेट पर रहे हैं.
- आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान और अधिकारियों पर भी कई हमले किए हैं.
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- इसके अलावा दूसरे राज्यों से कश्मीर आकर काम करने वाले लोगों की टारगेट किलिंग हुई है.


भारतीय सेना ने कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट चलाया हुआ है,जिसकी वजह से घाटी में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए है. आतंकियों की जहन्नुम पहुंचने की लंबी होती लिस्ट को देखकर ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और आतंकी हिंदू हो या मुसलमान सबको टारगेट कर रहे है...


- 26 फरवरी 2023 की सुबह आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या की थी..
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- 29 मई 2023 को आतंकियों ने अनंतनाग में दीपक कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. .
- 15 अक्टूबर 2022 को कश्मीर के शोपियां में आतंकियों ने पूरन कृष्ण भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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- अगस्त 2022 में भी शोपियां के सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी.
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- नवंबर 2022 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले दो मजदूरों की शोपियां में आतंकियों ने हत्या कर दी थी.
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- वर्ष 2021 में कश्मीर में आतंकियों ने स्कूल में घुसकर प्रिंसिपल और टीचर की हत्या कर दी.
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- धारा 370 हटने के बाद से घाटी में करीब 7 कश्मीरी पंडित टारगेट किलिंग का शिकार हुए हैं.
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- वहीं धारा 370 हटने के बाद से तकरीबन 20 सिख और हिंदुओं की घाटी में हत्या हुई है.


आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि घाटी में आतंकी हमलों में कमी आई है, पत्थरबाज़ी की घटनाएं कम हुई है, घाटी में माहौल बदला है, सुरक्षाबलों ने बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया किया है...और इन्हीं बातों से पाकिस्तान चिढ़ा हुआ है...जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटी थी...उसके बाद क्या बदलाव आया है आज हमें, इसे भी जरूर देखना चाहिए...गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि


- वर्ष 2019 में 153 आतंकी हमले हुए थे...जो 2023 में घटकर 41 हो गए.
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- वर्ष 2019 में सुरक्षाबलों और आतंकियों में 102 एनकाउंटर हुए, जो वर्ष 2023 में घटकर 44 हो गए.
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- वर्ष 2019 में आतंकी हमलों में 44 आम लोगों की मौत हुई थी...जबकि वर्ष 2023 में 13 लोगों की जान गई.
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- वर्ष 2019 में आतंकियों से लोहा लेते हुए 80 जवान शहीद हुए थे, 2023 में 20 जवान शहीद हुए.


अभी हमने जो आंकड़े आपको दिखाएं वो वर्ष 2019 में धारा 370 हटने के बाद से 15 नवंबर 2023 तक के है...इसे देखकर ही पता चल जाता है कि सुरक्षाबलों की गोली आतंकियों की कायराना हरकत पर भारी पड़ी है...