जम्मूः जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार फारूक खान ने रविवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी खान को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)में ‘महत्वपूर्ण जिम्मा’ दिया जा रहा है. जम्मू कश्मीर में 1990 के दशक में आतंकवाद पर काबू पाने में खान का अहम योगदान रहा था.


कश्मीर में चुनाव को लेकर मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी


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ऐसी संभावना है कि खान को इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के वास्ते पार्टी को तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाए. वह भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं तथा पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे में कई पदों पर रहे हैं. वैसे तो विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गयी है लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि वर्तमान परिसीमन कार्य मई तक पूरा हो जाने पर अक्टूबर के बाद चुनाव कराये जायेंगे.


पुलिस विभाग से राजनीति में एंट्री


1955 में जन्मे सरदार फारूक खान एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व पुलिस अधिकारी हैं. जिन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में रहते हुए अहम जिम्मेदारियां निभाईं. वह 2013 में पुलिस महानिरीक्षक (IGP) जम्मू और उधमपुर में शेर-ए-कश्मीर पुलिस अकादमी के प्रमुख के रूप में रिटायर हुए. 


जम्मू-कश्मीर में बीता है लंबा वक्त


खान को जम्मू और कश्मीर पुलिस (JKP) स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के निर्माण के साथ-साथ 1995 में इसके पहले प्रमुख के रूप में जाना जाता है. बाद में एसटीएफ का नाम बदलकर स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) कर दिया गया.


2014 में भाजपा में हुए शामिल


वह 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए और जून 2015 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया. उन्होंने जुलाई 2019 तक लक्षद्वीप के 32वें प्रशासक के रूप में भी कार्य किया. इसके बाद वे राज्यपाल सत्य पाल मलिक के सलाहकार थे, जिसके बाद उन्होंने जम्मू और कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के सलाहकार थे और वर्तमान में इस पद पर हैं.


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