Kashmiri Pandit flats in Kashmir: कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने की कवायद शुरू, वादी के 4 जिलों में 1250 फ्लैटों का हुआ उदघाटन
Jammu Kashmir Latest Updates: क्या अपने ही देश में विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों को इंसाफ मिलने का वक्त अब नजदीक आ गया है. यह उम्मीद इसलिए जग उठी है क्योंकि बुधवार को प्रदेश सरकार ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए बने 1250 सरकारी फ्लैटों का उदघाटन किया.
Kashmiri Pandit flats in Kashmir Valley: जिहादी आतंकवाद की वजह से करीब 35 साल पहले कश्मीर घाटी से विस्थापित हुए कश्मीरी हिंदुओं की अब घाटी में वापसी की उम्मीद बंधने लगी है. वहां के 10 जिलों में कश्मीरी पंडितों के लिए सरकारी फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा है. प्रदेश के एलजी मनोज सिन्हा ने सोमवार को ऐसे ही 1208 फ्लैटों का उदघाटन किया. पहले चरण में निर्मित किए गए ये फ्लैट प्रदेश के 4 जिलों में स्थित हैं. कश्मीरी हिंदुओं ने सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए इसे घर वापसी की शुरुआत का संकेत बताया है.
एलजी मनोज सिन्हा ने किया उदघाटन
ये फ्लैट प्रधानमंत्री पैकेज के तहत बनाए जा रहे हैं. एलजी मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने उत्तर कश्मीर के बारामूला ख्वाजा बाग इलाके में नई प्रवासी कॉलोनी (Kashmiri Pandit flats in Kashmir Valley) का फीता काटा. यह कॉलोनी कश्मीरी हिंदुओं के लिए बनाई गई है. उपराज्यपाल ने उम्मीद जताई कि बाकी बचे फ्लैटों का काम इस साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. बुधवार को जिन फ्लैटों का उदघाटन किया गया, वे बारामूला के अलावा बांदीपोरा, गांदरबल और शोपियां जिले में बने हैं.
मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने कश्मीरी पंडिता को आश्वासन दिया कि इन कॉलोनियों में बसने वाले कश्मीरी पंडितों को सुरक्षित आवास के अलावा अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी. उन्होंने कश्मीरी भाईचारे को बनाए रखने में बहुसंख्यक समुदाय की भूमिका की भी सराहना की. साथ ही आशा व्यक्त की कि इससे घाटी में सभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में मदद मिलेगी.
दिसंबर तक मिलेंगे 2 हजार और फ्लैट
मीडिया से बात करते हुए एलजी जम्मू कश्मीर मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने कहा, 'हम कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को 576 फ्लैट (Kashmiri Pandit flats in Kashmir Valley) देने में सफल रहे और कोशिश कर रहे हैं कि दिसंबर तक हम उन्हें 2 हजार फ्लैट और दे दें. आम कश्मीरी लोग चाहते हैं कि हम सब एक साथ रहें. मैं कश्मीर के युवाओं से आगे आने की अपील करता हूं ताकि यह कवायद आसान हो.'
कश्मीरी पंडित कर्मचारी राकेश पंडिता ने सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, यह बहुत अच्छी पहल है. जब से इस रोजगार पैकेज की घोषणा की गई थी, तब से हम पीड़ित थे लेकिन अब इस उद्घाटन के साथ हमाका जीवन कुछ आसान हो जाएगा. इससे हमारा रहन-सहन सुधरेगा और सुरक्षा की समस्या दूर होगी. हम सभी कश्मीर पंडित घाटी में वापस आना चाहते हैं, इसके लिए सरकार को अपनी पहल बढ़ानी चाहिए.
कश्मीरी पंडितों में जगी इंसाफ की उम्मीद
एक अन्य कर्मचारी नीरू भट्ट ने कहा, 'कश्मीर अनिश्चितता का स्थान है लेकिन यह एक अच्छा कदम है. जो लोग किराए के आवास में रह रहे थे, उन्हें अब रहने के लिए आवास (Kashmiri Pandit flats in Kashmir Valley) मिल सकेगा. सरकार अब कश्मीरी पंडितों को गंभीरता से ले रही है. फिलहाल यह पूरी तरह से पुनर्वास नहीं है और केवल एक आर्थिक पैकेज हैं. असली पुनर्वास तभी होगा, जब सभी विस्थापित पंडित वापस आएंगे. फिर भी एक उम्मीद की शुरुआत तो हुई है.'
टारगेट किलिंग से डरे हुए थे कश्मीरी पंडित
बताते चलें कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त हुए 6 हजार कश्मीरी पंडित कर्मचारी लगातार टारगेट किलिंग शुरू होने के बाद कश्मीर से बाहर जम्मू और अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में रिलोकेट करने की मांग कर रहे थे. उनकी इस मांग को एलजी प्रशासन ने खारिज कर दिया था. हालांकि उन्हें कश्मीर घाटी में सुरक्षित आवास (Kashmiri Pandit flats in Kashmir Valley) देने का वादा किया गया था, जिससे उनमें सुरक्षा की भावना रहे. अब सरकारी फ्लैटों का उदघाटन करके एलजी प्रशासन उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित आवास देना चाहता है ताकि वे स्वतंत्र रूप से कश्मीर में नौकरी कर सकें.