Kashmiri Pandit: घाटी की फिजाओं में आतंक का खौफ, 10 कश्मीरी पंडित परिवारों ने किया पलायन
Target Killing Kashmir: टारगेट किलिंग की वजह से जम्मू में कई लोगों ने फिर से पलायन शुरू कर दिया है. अक्टूबर महीने में टेररिस्ट कई लोगों की हत्या कर चुके हैं. उसके बाद से ही गांव में डर का साया है.
Kashmir Terrorist Attack: कश्मीरी में आतंकवादियों ने फिर से टारगेट किलिंग करना शुरू कर दी है. इस वजह से कई लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. इस पलायन की शुरूआत 1990 के दशक में हुई थी. जब लोगों को कश्मीर छोड़ना पड़ा था. अब फिर से वही स्थिती देखने को मिल रही है. पिछले साल भी घाटी में आंतकवादियों ने दहशत मचाई थी. जिसमें कई लोगों की टारगेट किलिंग की गई थी. इस साल भी अक्टूबर महीने में टेररिस्ट ने कई आम लोगों की हत्या की है. इसी वजह से शॉपियां जिले के चौधरीगुंड गांव से कई परिवार ने पलायन शुरू कर दिया है.
अक्टूबर महीने में आतंकवादियों ने की कई हत्या
चौधरीगुंड के लोगों ने बताया है कि पिछले कुछ दिनों में यहां पर आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई है. पूरे समुदाय में तनाव और डर का माहौल बना हुआ है. जिन लोगों ने पलायन किया है वे लोग 1990 के दशक से कश्मीर में रह रहे हैं, लेकिन उन्होंने मुश्किल से मुश्किल समय में भी अपना घर नहीं छोड़ा. हाल ही में यहां पर आतंकवादियों ने कई लोगों की हत्या की है.
शोपियां में आतंकवादियों ने की टारगेट किलिंग
15 अक्टूबर को शोपियां जिले के चौधरीगुंड गांव में कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वहीं, शोपियां जिले में 18 अक्टूबर को आतंकवादियों ने ग्रेनेड से हमला किया था, जिसमें मोनीश कुमार और राम सागर मारे गए थे.
आतंक की वजह से गांव हुआ खाली
चौधरीगुंड के एक निवासी ने बताया कि कश्मीरी पंडित जिसमें 10 परिवार यानी समुदाय के 35 से 40 लोग डर और तनाव की वजह से गांव छोड़कर जा चुके हैं. इस वजह से गांव अब खाली हो गया है. एक दूसरे ग्रामीण ने बताया कि कश्मीर घाटी में रहने लायक स्थिति नहीं बची है, लगातार हो रही हत्याओं की वजह से हम डर के माहौल में जी रहे हैं. यहां हमारे लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है. गांव के लोगों ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा के लिए हमारी तरफ से कई बार गुहार लगाई गई, जब जाकर यहां एक पुलिस चौकी बना पाई है. वे बताते हैं कि लोगों ने सेब की फसल सहित अपना सब कुछ घरों में छोड़ दिया है और अब ये लोग जम्मू में अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं.
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