कठुआ रेप-हत्या मामला : वकीलों ने पीड़िता के वकील को कोर्ट में पेश होने से रोका था
आठ वर्षीय बच्ची 10 जनवरी को लापता हो गई थी जब वह जंगल में घोड़ों को चरा रही थी. जांचकर्ताओं ने कहा कि आरोपियों ने घोड़े ढूंढने में मदद करने के बहाने लड़की को अगवा कर लिया
जम्मूः कठुआ में 8 साल की बच्ची से रेप और हत्या के मामले में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. आरोपपत्र से इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्ची को नशीली दवा देकर रखा गया था और उसकी हत्या से पहले दरिंदों ने फिर से उसे हवस का शिकार बनाया था. गौरतलब है कि इस बच्ची को जनवरी में एक हफ्ते तक कठुआ जिला स्थित एक गांव के एक मंदिर में बंधक बना कर रखा गया था और उससे छह लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार किया था. जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने यहां सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 पृष्ठों का आरोपपत्र दाखिल किया. इसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि बकरवाल समुदाय की बच्ची का अपहरण , बलात्कार और हत्या इलाके से इस अल्पसंख्यक समुदाय को हटाने की एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी.
किशोर की भूमिका के बारे में मंगलवार को एक अलग आरोपपत्र दाखिल किया गया. सभी आठ लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं. वहीं जम्मू में वकीलों ने आरोपियों के समर्थन में बुधवार कामकाज बंद रखा. इस मामले में पीड़ित पक्ष की वकील ने जम्मू बार एसोसिएशन पर कोर्ट में पेश ना होने के लिए धमकी देने का आरोप लगाया है.
पीड़ित पक्ष की वकील डीएस राजावत ने कहा 'जम्मू बार एसोसिशन के अध्यक्ष बीएस सलाथिया जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में मुझसे मिले और मुझे खुलेआम धमकी देते कहा कि आप कोर्ट में पेश ना हों. अब वो कह रहे हैं कि मैं हाथ जोड़ता हूं और आपसे प्रार्थना करता हूं. आज मेरी नजर में उनकी इज्जत कम हो गई है. हमने देखा कि कैसे स्थानीय वकीलों ने क्राइम ब्रांच को चार्जशीट फाइल करने से रोका. मैं जानना चाहती हूं कि आखिर आप लोग क्यों आरोपी को बचा रहे है? क्या वे ऐसा किसी गुप्त उद्देश्य को पूरा करने के लिए कर रहे है? वो कह रहे है कि क्राइम ब्रांच ने इस मामले की जांच सही ढंग से नहीं की है.'
बता दें कि आरोपपत्र में कहा गया है कि बच्ची का शव बरामद होने से छह दिन पहले 11 जनवरी को किशोर ने अपने चचेरे भाई जंगोत्रा को फोन किया था और मेरठ से लौटने को कहा था , जहां वह पढ़ाई कर रहा था. दरअसल , उसने उससे कहा कि यदि वह मजा लूटना चाहता है तो आ जाए. इसमें कठुआ स्थित रासना गांव में देवीस्थान मंदिर के सेवादार को अपहरण , बलात्कार और हत्या के पीछे मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है. सांझी राम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, मित्र परवेश कुमार उर्फ मन्नू , राम का किशोर भतीजा और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा कथित तौर पर शामिल हुए. आरोपपत्र में जांच अधिकारी ( आईओ ) हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्त भी नामजद हैं जिन्होंने राम से कथित तौर पर चार लाख रुपया लिए और अहम सबूत नष्ट किए.
आठ वर्षीय बच्ची 10 जनवरी को लापता हो गई थी जब वह जंगल में घोड़ों को चरा रही थी. जांचकर्ताओं ने कहा कि आरोपियों ने घोड़े ढूंढने में मदद करने के बहाने लड़की को अगवा कर लिया. अपनी बच्ची के लापता होने के अगले दिन उसके माता पिता देवीस्थान गए और राम से उसका अता पता पूछा. जिसपर , उसने बताया कि वह अपने किसी रिश्तेदार के घर गई होगी. आरोपपत्र के मुताबिक आरोपी ने बच्ची को देवीस्थान में बंधक बनाए रखने के लिए उसे अचेत करने को लेकर नशीली दवाइयां दी थी.
बच्ची के अपहरण , हत्या और जंगोत्रा एवं खजुरिया के साथ उससे बार - बार बलात्कार करने में किशोर ने मुख्य भूमिका निभाई . किशोर अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ चुका है. एक अधिकारी ने बताया कि किशोर की मेडिकल जांच से जाहिर होता है कि वह वयस्क है लेकिन अदालत ने अभी तक रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लिया है.
आरोपपत्र के मुताबिक खजुरिया ने बच्ची का अपहरण करने के लिए किशोर को लालच दिया. खजुरिया ने उसे भरोसा दिलाया कि वह बोर्ड परीक्षा पास करने ( नकल के जरिए ) में उसकी मदद करेगा. इसके बाद उसने परवेश से योजना साझा कर उसे अंजाम देने में मदद मांगी , जो राम और खजुरिया ने बनाई थी. जंगोत्रा अपने चचेरे भाई का फोन आने के बाद मेरठ से रासना पहुंचा और किशोर एवं परवेश के साथ बच्ची से बलात्कार किया , जिसे नशीली दवा दी गई थी. राम के निर्देश पर बच्ची को मंदिर से हटाया गया और उसे खत्म करने के इरादे से मन्नू , जंगोत्रा तथा किशोर उसे पास के जंगल में ले गए. जांच के मुताबिक खजुरिया भी मौके पर पहुंचा और उनसे इंतजार करने को कहा क्योंकि वह बच्ची की हत्या से पहले उसके साथ फिर से बलात्कार करना चाहता था. आरोपपत्र में कहा गया है कि बच्ची से एक बार फिर सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में किशोर ने उसकी हत्या कर दी.
इसमें कहा गया है कि किशोर ने बच्ची के सिर पर एक पत्थर से दो बार प्रहार किया और उसके शव को जंगल में फेंक दिया. दरअसल, वाहन का इंतजाम नहीं हो पाने के चलते नहर में शव को फेंकने की उनकी योजना नाकाम हो गई थी. शव का पता चलने के करीब हफ्ते भर बाद 23 जनवरी के सरकार ने यह मामला अपराध शाखा को सौंपा जिसने एसआईटी गठित की. आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच में यह पता चला कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही आरोपी सांझी राम ने रासना इलाके से बकरवाल समुदाय को हटाने का फैसला कर लिया था जो उसके दिमाग में कुछ समय से चल रहा था.
जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि राम ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को चार लाख रूपये तीन किश्तों में दिए. जांच में इस बारे में ब्योरा दिया गया है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने मृतका के कपड़े फारेंसिक प्रयोगशाला में भेजने से पहले उसे धोकर किस तरह से अहम सबूत नष्ट किए और मौके पर झूठे साक्ष्य बनाए. जांच के दौरान यह भी पता चला कि राम - रासना , कूटा और धमयाल - इलाके में बकरवाल समुदाय के बसने के खिलाफ था. वह हमेशा ही अपने समुदाय के लोगों को इस बात के लिए उकसाता था कि वे इन लोगों को चारागाह के लिए जमीन मुहैया ना करें , या उनकी कोई मदद ना करें.
(इनपुट भाषा से)