कावेरी जल विवाद: प्रदर्शन से तमिलनाडु में रेल, सड़क परिवहन प्रभावित
द्रमुक कार्यकर्ताओं ने चेन्नई में कोयंबेडू में चेन्नई मेट्रो रेल को बाधित करने की कोशिश की लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया.
चेन्नई: कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) का गठन करने की मांग को लेकर तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन चौथे दिन बुधवार को जारी रहा. प्रत्यक्षदर्शी व अधिकारियों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने रेल व सड़क मार्ग को बाधित किया. प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर सीएमबी का गठन करने से विफल रहने का आरोप लगाया है. द्रमुक कार्यकर्ताओं ने चेन्नई में कोयंबेडू में चेन्नई मेट्रो रेल को बाधित करने की कोशिश की लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया. अन्य प्रदर्शकारियों ने पेरांबुर में उपनगरीय ट्रेन को रोकने की कोशिश की.
प्रदर्शनकारी चेन्नई और चेगलपट्ट को जोड़ने वाले राजमार्ग पर आकर बैठ गए और केंद्र व तमिलनाडु सरकारों के खिलाफ जोर-जोर से नारे लगाने लगे, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ. द्रमुक और उसके सहयोगियों ने गुरुवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है.
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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तमिलनाडु आने पर काला झंडा दिखाने की चेतावनी दी है. द्रमुक नेता एम. के. स्टालिन ने संवाददाताओं से कहा कि सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के नेता सोए हुए हैं और उनको जगाना संभव नहीं है. स्टालिन ने कहा कि गुरुवार को सर्वदलीय बैठक होगी जिसमें यह तय होगा कि कौन-कौन कावेरी डेल्टा से राजभवन मार्च में शामिल होंगे.
सर्वोच्च न्यायालय ने 16 फरवरी को कावेरी जल में तमिलनाडु का हिस्सा घटाकर 177.25 अरब घनफुट (टीएमसी) कर दिया है जो 2007 में अभिकरण की ओर आवंटित 192 अरब घनफुट से कम है. कर्नाटक का हिस्सा 14.75 अरब घनफुट बढ़ा दिया गया है. केंद्र सरकार के 16 फरवरी के आदेश के छह सप्ताह के भीतर सीएमबी का गठन करने से विफल रही और इसकी समय सीमा 29 मार्च को ही समाप्त हो गई.
पुराना है मामला
आपको बता दे कि तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के फैसले के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु, और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. खंडपीठ ने इस पूरे मामले में टिप्पणी की थी कि पिछले दो दशकों में काफा भम्र की स्थिति रही है.
जल विवाद पर बनेगा कानून
केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों के बीच बढ़ते जल विवादों को देखते हुए अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक को संसद में फिर पेश करेगी. इसमें अधिकरणों के अध्यक्षों, उपअध्यक्षों की आयु और निर्णय देने की समय सीमा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. विधेयक को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरीके लिए पेश किया जाएगा.
इनपुट भाषा से भी