Etawah Kedareshwar Temple: लोकसभा चुनाव का रण सामने है और बीजेपी ने अनुच्छेद- 370 के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनवाकर अपना सबसे बड़ा दांव चल दिया है. देश की सबसे बड़ी पंचायत के लिए होने जा रहे इस रण में सपा मुखिया अखिलेश यादव भी पीछे नहीं हैं और उन्होंने भी 'मंदिर के बदले मंदिर' का दांव खेलने का फैसला किया है. सूत्रों के मुातबिक अखिलेश यादव इटावा में लायन सफारी के पास 10 एकड़ क्षेत्रफल में केदारेश्वर महादेव का भव्य मंदिर बनवा रहे हैं. इसके लिए नेपाल से नंदी बाबा इटावा पहुंच चुके हैं और उन्हें प्रतिष्ठित कर दिया गया है. इस निर्माणाधीन मंदिर में अब तक किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है. हालांकि जी मीडिया की टीम ने गर्भ गृह में पहुंचकर मंदिर का जायजा लिया.


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इटावा में बन रहा केदारेश्वर मंदिर


सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इटावा लायन सफारी के पास केदारनाथ की तर्ज पर केदारेश्वर मंदिर बनवा रहे है. इस मंदिर का निर्माण 10 एकड़ में मंदिर बनवाया जा रहा है. मंदिर में स्थापित होने वाले नंदी बाबा को नेपाल मंगवाया जा चुका है. जबकि शिवलिंग अभी तक नेपाल से नहीं आ पाया है. इस निर्माणाधीन मंदिर में फिलहाल किसी को भी अंदर जाने के लिए अनुमति नही दी जा रही है. 


नेपाल से मंगवाया जा रहा शिवलिंग


इस मंदिर सपा मुखिया कितनी गंभीरता से ले रहे हैं. इसका पता इसी बात से चलता है कि मैनपुरी की पूर्व सांसद और अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव ने हाल में मंदिर पहुंचकर उसके निर्माण कार्य की प्रगति का जायजा लिया था. सपा के जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य उर्फ बबलू बताते हैं कि नेपाल से आने वाले शिवलिंग इस मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा. इसके बाद मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाएगी. 



गेट पर विराजमान हुए नंदी बाबा


प्रदीप शाक्य बताते हैं कि नेपाल से आ चुके बाबा के नंदी मंदिर के मुख्य द्वार पर विराजमान हो चुके हैं. पार्टी जिलाध्यक्ष ने कहा कि जो लोग केदारनाथ नहीं जा पा रहे हैं, वे इटावा के केदारशेवर मंदिर में दर्शन कर महादेव का आशीर्वाद ले सकेंगे. इस मंदिर के दर्शन करने पर उन्हें केदारनाथ धाम जैसा ही अहसास होगा. प्रदीप शाक्य ने कहा कि इटावा में इस तरह के भव्य मंदिर का निर्माण यहां के लोगों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है. 


बीजेपी के मास्टर स्ट्रोक से परेशान


बताते चलें कि बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समेत कई मुद्दों को लेकर लोकसभा चुनाव में उतरने की रणनीति भी बना चुकी है. उसकी यह रणनीति कामयाब होती हुई भी नजर आ रही है और देशभर से रोजाना हजारों लोग रामलला के दर्शनों के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं. राम मंदिर के निर्माण से अयोध्या समेत आसपास के जिलों की अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिल गई है और काम-धंधे बढ़ने से लोग बेहद खुश हैं. 


एंटी हिंदू इमेज मिटाने की कोशिश


बीजेपी ने अयोध्या के दर्शनों के लिए अखिलेश यादव को कई बार आमंत्रित किया लेकिन उन्होंने कोई न कोई बहाना बनाकर हर बार इनकार कर दिया. राजनीतिक एक्सपर्ट इस इनकार के पीछे उनकी वोट बैंक पॉलिटिक्स की मजबूरी को मानते हैं. हालांकि इनकार के बावजूद अखिलेश यादव को भी इस बात का अहसास है कि लोगों का मूड किस तरफ है. इसलिए अपनी एंटी हिंदू बन चुकी इमेज को चमकाने और खुद को महादेव का भक्त साबित करने के लिए वे इस मंदिर का तेजी से निर्माण करवा रहे हैं, जिसका वे लोकसभा चुनावों से पहले उद्घाटन करवा सकते हैं. 


(इनपुट अन्नू चौरसिया)