ईटानगर: बीजेपी के अपने घोषणा पत्र में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराने का वादा करने के एक दिन बाद केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू ने मंगलवार को कहा कि विधेयक को लाने से पहले पूर्वोत्तर राज्यों से सलाह-मशविरा किया जाएगा. रिजीजू ने कहा कि अगर विधेयक देश के अन्य हिस्से में लागू होता है तब भी उसमें क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान होंगे.


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विवादित विधेयक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक (हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को) भारत में छह साल गुजराने और उचित दस्तावेज नहीं होने पर भी भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है.


विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन हुए थे
इस विधेयक को लेकर साल के शुरू में पूर्वोत्तरी राज्यों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. क्षेत्र के मूल लोगों ने यह आशंका व्यक्त की थी कि विधेयक के कानून बनने से उनकी पहचान और रोजगार खतरे में पड़ जाएंगे.


केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘अगर देश के अन्य राज्य चाहते हैं कि विधेयक कानून बनें तो बीजेपी इसे लाने को प्रतिबद्ध है. बहरहाल, पूर्वोत्तर के संदर्भ में, कोई भी निर्णय करने से पहले पार्टी लोगों से परामर्श करेगी जिसका घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है.’


आठ जनवरी को लोकसभा में पारित हुआ था विधेयक
यह विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा में पारित हुआ था जिसका बीजेपी के कुछ सहयोगियों समेत क्षेत्र के लोगों ने तीखा विरोध किया था. बहरहाल, यह विधेयक तीन जून को गिर जाएगा जब लोकसभा भंग हो जाएगी. यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया है.


केंद्रीय मंत्री अरूणाचल पश्चिम सीट से फिर से मैदान में हैं. उन्होंने कहा कि अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिज़ोरम में बाकी देश के निवासी आकर नहीं बस सकते हैं, क्योंकि ये संविधान के विशेष प्रावधानों के तहत ‘संरक्षित’ हैं.