किरन रिजिजू ने -40 डिग्री में तैनात जवानों का बढ़ाया हौसला, बर्फ पर दौड़ाया स्नो स्कूटर
भारत-चीन सीमा पर स्थित देश की आखिरी पोस्ट रिमखिम पर तैनात जवानों बेहद सर्द और बेरहम मौसम की मार पूरे साल झेलते हैं, लेकिन देश की सीमा में दुश्मन घुसपैठ न कर सके इसके लिए वो हर वक्त तैयार रहते हैं.
रिमखिम (उत्तराखंड): आपने भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों की तरफ से भारतीय सीमा में घुसपैठ की खबरों के बारे में आपने काफी सुना होगा. चीनी सैनिक सबसे ज्यादा घुसपैठ की कोशिश उत्तराखंड के चमौली से लगे इलाके में करते हैं. ऐसे में भारत-चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी के जवान इन इलाकों की पूरे साल निगरानी करते हैं और अक्सर इन जवानों का चीनी सैनिकों में यहां आमना-सामना होता रहता है. यह इलाके बेहद संवेदनशील है और यहां सुरक्षा में तैनात जवानों को छोड़कर किसी को जाने की इज़ाजत नहीं दी जाती.
भारत-चीन सीमा पर स्थित रिमखिम देश की आखिरी पोस्ट है. 14500 हज़ार फीट की उंचाई पर स्थित रिमखिम पोस्ट सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि चीन भारत से सटे इलाकों को हड़पना चाहता है और इस पोस्ट पर तैनात आटीबीपी के जवान के जवान चीनी सैनिकों के हर उस साजिश को नाकाम करते हैं.
दोस्त या दुश्मन ही आ सकते हैं
इन इलाकों के बारे में यहां एक कहावत काफी प्रचलित है कि यहां दो ही तरीके के लोग आ सकते हैं- एक 'आपके दोस्त'. दूसरा 'आपके दुश्मन'. इस पोस्ट तक सड़क के जरिये जाना बेहद मुश्किल था और ऐसे में हम केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू के साथ MI 17 हेलीकॉप्टर पर सवार होकर रिमखिम पोस्ट पहुंचे.
दिल्ली से कुछ घंटे सफर तय करने के बाद वो इलाके शुरू हो गये जहां चारों तरफ बर्फ और बेहद ठंड के इलाके थे. इन दुर्गम रास्तों से चलते हुए जवान बड़ी मुश्किल से अपने पोस्ट तक जा पाते हैं. भारत-चीन सीमा पर बसे यह इलाके सियाचीन जैसे हैं. किरेन रिजिजू ने जवानों से मिलकर उनका हालचाल जाना.
रिजिजू ने थपथपाई पीठ
किरेन रिजिजू ने रिमखिम पोस्ट पर इन जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि "आप देश की सेवा कर रहे है वो भी इतने मुश्किल हालात में पूरा देश आपके साथ है. हमारे प्रधानमंत्री मोदी और सरकार पूरी तरह से आपके साथ हैं. आपने देखा कि प्रधानमंत्री अक्सर जवानों से मिलने सीमाओं पर आते हैं. इस समय यहां चारों तरफ बेहद खराब मौसम है लेकिन आप अपने परिवार से इतनी दूर देश सेवा कर रहे हैं."
-40 डिग्री तापमान
रिमखिम में दिन का तापमान माइनस पांच डिग्री सेल्सियस और रात -40 डिग्री की होती है और काफी उंचाई पर होने की वजह से यहां सांस लेने में काफी तकलीफ होती है हर तरफ यहां बर्फ ही बर्फ है.
हर वक्त चौकस
यह इलाके बेहद संवेदनशील है. सामने चीन है और चीनी सैनिकों की इन इलाकों पर हमेशा नज़र रहती है ऐसे में इन जवानों को हर वक्त चौकस रहना होता है. इन इलाकों में सुरक्षा में लगे जवानों को छोड़कर किसी दूसरे को जाने की इज़ाजत नहीं है. रिमखिम पोस्ट पर तैनात जवान माना ला और नीति ला जैसे पासेस पर नज़र ऱखते हैं और इन्हीं पासेस के जरिये चीनी सैनिक कई बार देश में दाखिल होने की कोशिश करते हैं. चाहे पेट्रोलिंग हो या फिर पोस्ट की सुरक्षा हर वक्त जवान सतर्क रहते हैं.
जवानों के हौसले बुलंद
किरेन रिजिजू के साथ रिमखिम पोस्ट पर तैनात जवानों से मिलने आईटीबीपी के डीजी एसएस देशवाल भी साथ में थे. देशवाल ने ज़ी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, " सीमा पर हर तरफ बर्फ जमी है लेकिन सरकार हेलीकॉप्टर के जरिये पोस्ट की सप्लाई लाइन को जारी रखे हुए है. पहले के मुकाबले काफी अब बदलाव आया है और हमारे जवानों के हौसले बुलंद हैं."
स्नो हाउस
रिमखिम पोस्ट पर खास तरीके के बने स्नो हाउस हैं जिसमें जमा देने वाले ठंड के दौरान जवान बड़े आराम से इन स्नो हाउस में रह सकता है. इन स्नो हाउस को इगलू भी कहा जाता है. चीन ने पास में ही बने नीति ला तक सड़क बना ली है और वो बड़े आराम से जब चाहे तो इन इलाकों में दाखिल हो सकता है जबकि हमारे जवानों को इन इलाकों में पेट्रोलिग के लिए काफी मेहनत करनी होती है, लेकिन हिमालय से ऊंचे जवानों के इन हौसलों के सामने ऐसी चुनौतियां भी फिकी नजर आती हैं.
हेलीकॉप्टर से सप्लाई
इन इलाकों में सड़क न होने से हेलीकॉप्टर के जरिये ही जरूरी चीजों की सप्लाई रिमखिम पोस्ट तक की जाती है. साल के 6-7 महीने तक काफी बर्फबारी होने की वजह से ये इलाके पूरी तरह बर्फ में दब जाते हैं और ऐसे में ये हेलीकाप्टर ही इन इलाकों के लिए यहां की लाइफ लाइन है.
स्नो स्कूटर
ऐसी पोस्ट के लिए पहली बार एक खास स्कूटर मंगाई गई है जो बर्फ पर काफी तेजी से दौड़ती है. जल्द ही जवान अब इन स्नो स्कूटर के जरिये ऐसे बर्फीले रेगिस्तान पर सरहदों की निगरानी करते नज़र आएंगे. डोकलाम के बाद से इन इलाकों की चौकसी बेहद कड़ी कर दी गयी है. लेकिन इन तूफानी मौसम में भी हमारे जवानों के हौसले बुलंद हैं. चीनी सेना की इन इलाकों पर नज़र रहती है और आए दिन इन जवानों का आए दिन चीनी सैनिकों से आमना-सामना होता रहता है.