दिल्ली पहुंच रहे लाखों किसान! रामलीला मैदान में आज महापंचायत, ट्रैफिक एडवाइजरी जारी
ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आम लोगों और वाहन चालकों को सलाह दी गई है कि वे रामलीला मैदान के आसपास की सड़कों के इस्तेमाल से बचें, खासतौर पर जेएलएन मार्ग, दिल्ली गेट, अजमेरी गेट चौक के आसपास के इलाकों से जाने से बचें.
दिल्ली में आज कई राज्यों के किसान संगठन और किसान एकत्रित हो रहे हैं. दरअसल, कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गांरटी को लेकर अलग-अलग किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने ‘किसान महापंचायत’ बुलाई है. एसकेएम का दावा है कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लाखों किसान अलग-अलग राज्यों से दिल्ली के लिए कूच कर गए हैं. दिल्ली पुलिस ने ‘किसान महापंचायत’ (Kisan Mahapanchayat) के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिकक रामलीला मैदान में 2,000 से ज्यादा पुलिसके जवानों की तैनाती रहेगी. साथ ही कार्यक्रम सुचारू रूप से चले इसके लिए रामलीला मैदान के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने का प्रबंध किया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2,000 से अधिक जवानों को तैनात किया गया है.'
उन्होंने कहा कि भीड़ प्रबंधन के लिए पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. इस दौरान इस बात पर विशेष रूप से ध्यान रहेगा कि कोई भी असमाजिक तत्व रामलीला मैदान में प्रवेश न करे. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की एडवाइजरी के मुताबिक महापंचायत में करीब 15,000-20,000 लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है.
ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आम लोगों और वाहन चालकों को सलाह दी गई है कि वे रामलीला मैदान के आसपास की सड़कों के इस्तेमाल से बचें, खासतौर पर जेएलएन मार्ग, दिल्ली गेट, अजमेरी गेट चौक के आसपास के इलाकों से जाने से बचें.
दावा है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों से लाखों किसान दिल्ली जा रहे हैं. किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा, 'केंद्र को 9 दिसंबर, 2021 को हमें लिखित में दिए गए आश्वासनों को पूरा करना चाहिए और किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को कम करने के लिए प्रभावी कदम भी उठाने चाहिए.'
संगठनों ने कहा, 'जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को संदर्भित विद्युत संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाना चाहिए. केंद्र ने लिखित आश्वासन दिया था कि एसकेएम के साथ चर्चा के बाद ही संसद में विधेयक पेश किया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद, उसने विधेयक पेश किया.'
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