जानिए कौन हैं अयोध्या के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिन्हें बनाया गया राम मंदिर का ट्रस्टी
अयोध्या के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र जानी-मानी शख्सियत हैं और विमला देवी फाउंडेशन न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष हैं
नई दिल्ली: भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' की स्थापना से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दी है. अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है. अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा ने उन्हें इसकी जानकारी दी है. श्रीरामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर अधिग्रहीत की गई चल अचल संपत्तियों समेत रामलला को चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुई धनराशि, सोना-चांदी को नए ट्रस्ट की घोषणा के साथ उसके ट्रस्टी बनाए गए राजा अयोध्या बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को बुधवार शाम हस्तांरित कर दी गई.
यह कार्रवाई कमिश्नर आवास पर अधिग्रहीत परिसर के रिसीवर व मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल ने की. ट्रस्ट की समस्त संपत्तियों पर कब्जा देने के साथ इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन ने गृह मंत्रालय भारत सरकार को भेज दी गई है.
विमला देवी फाउंडेशन न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष
अयोध्या के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र जानी-मानी शख्सियत हैं और विमला देवी फाउंडेशन न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. विमला देवी फाउंडेशन जो राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य, संगीत एवं कलाओं के उत्थान के लिए कार्य करता है.
अयोध्या में स्थित विशाल महल राज सदन
अयोध्या में राजवंश का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. अयोध्या में स्थित विशाल महल राज सदन इस राजवंश की गौरवगाथा का प्रतीक है, राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुडी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो पुत्र विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और शैलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र हुए, जिसमें विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बड़े होने के कारण उन्हें इस राजवंश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और उन्हें राजा अयोध्या के रूप में जाना जाने लगा.
फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर लड़ा चुनाव
राज रियासत के खत्म होने के बाद राजवंश के अगुआ विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने राजनीति की तरफ रुख किया और साल 2009 में उन्होंने फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई, उसके कुछ समय बाद राजा साहब का सियासत से मोहभंग हुआ और उन्होंने बसपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
बेटे का नाम यतीन्द्र मोहन प्रताप मिश्र
वहीं राजपरिवार के दूसरे बेटे शैलेन्द्र मोहन मिश्र अयोध्या के साकेत महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष हैं और अयोध्या राजवंश से जुड़ी व्यवस्था को देखते हैं. राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बेटे का नाम यतीन्द्र मोहन प्रताप मिश्र है. मशहूर साहित्यकार और कवि के रूप में प्रसिद्ध यतींद्र मिश्र को प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर पर लिखी गई पुस्तक लता सुर गाथा के लिए 65वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है.
अपने प्रचुर लेखन के लिए यतीन्द्र मिश्र को तमाम बड़े पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, जिसमें रजा फाउंडेशन पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, एच के त्रिवेदी स्मृति युवा पत्रकारिता पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता सम्मान, राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, परंपरा ऋतुराज सम्मान सहित भारतीय ज्ञानपीठ फेलोशिप सहित कई अन्य पुरस्कार मिल चुके हैं. वह 2 तक डीडी भारती के सलाहकार भी रहे हैं और लेखन के अलावा समन्वय और सौहार्द के लिए स्थापित 'विमला देवी फाउंडेशन न्यास' के माध्यम से सांस्कृतिक गतिविधियों से भी जुड़े हैं.