Kolkata Case Update: 150 ग्राम सीमेन... सुनते ही चीफ जस्टिस नाराज, कोलकाता रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस
Supreme Court on Kolkata Case: सुप्रीम कोर्ट में आज कोलकाता रेप-मर्डर केस पर लंबी बहस चली. वकीलों में नोंकझोक के बीच कई ऐसे मौके आए जब जज नाराज हो गए. एक बार जस्टिस पारदीवाला को कहना पड़ा कि 30 साल में ऐसी प्रक्रिया नहीं देखी. सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी को बेहद परेशानी वाली बात कहा है.
Kolkata doctor rape-murder case Updates: देश को झकझोरने वाले कोलकाता रेप और मर्डर केस पर आज सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस हुई और कई गंभीर सवाल उठे. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच के सामने जब एक वकील ने 150 ग्राम सीमेन (वीर्य) का जिक्र किया तो चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ बेहद नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जो चल रहा है वो यहां न पढ़ें. हमारे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट है. CJI ने कहा कि हम जानते हैं कि 150 ग्राम का क्या मतलब होता है. दरअसल, कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि पोस्टमार्टम के दौरान 150 ग्राम सीमन पाया गया था.
आज सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के बीच कई बार तीखी बहस हुई. एक समय ऐसा आया जब एसजी ने कहा कि कृपया मत हंसिए. एक लड़की ने सबसे अमानवीय तरीके से अपनी जान गंवाई है. उधर, उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में परास्नातक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए कहा है. कोर्ट ने उन्हें आश्वासन दिया कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी.
30 साल में ऐसा कभी नहीं देखा
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि राज्य द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया ऐसी है, जो 30 साल के अपने कार्यकाल में मैंने कभी नहीं देखी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जज केस में यूडी (अननेचुरल डेथ की बात) सुबह 5.20 बजे दर्ज करने और नॉन-मेडिकल बैकग्राउंड से सहायक अधीक्षक होने पर चिंता जता रहे थे. उनका आचरण भी कोर्ट को संदिग्ध लगा.
पीठ ने पुलिस द्वारा की गई कानूनी औपचारिकताओं के क्रम और समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि मृत पीड़िता का पोस्टमार्टम, अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले ही 9 अगस्त की शाम छह बजकर 10 मिनट से सात बजकर 10 मिनट के बीच कर दिया गया. पीठ ने कहा, ‘ऐसा कैसे हुआ कि पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम छह बजकर 10 मिनट पर किया गया लेकिन अप्राकृतिक मौत की सूचना पुलिस थाने को नौ अगस्त को रात साढ़े 11 बजे भेजी गई. यह बेहद परेशान करने वाली बात है.’
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न्यायालय ने इस घटना के बारे में पहली प्रविष्टि दर्ज करने वाले कोलकाता पुलिस के अधिकारी को अगली सुनवाई पर पेश होकर यह बताने को कहा कि प्रविष्टि किस समय दर्ज की गई. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि सबसे अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मृत पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई. मेहता ने पीठ से कहा, ‘राज्य पुलिस ने (पीड़िता के) माता-पिता से कहा कि यह आत्महत्या का मामला है, फिर उन्होंने कहा कि यह हत्या है. पीड़िता के मित्र को संदेह था कि इस मामले में कुछ छिपाया गया है और उसने वीडियोग्राफी पर जोर दिया.’
मैं अस्पताल के फर्श पर सोया हूं, चीफ जस्टिस बोले
सुनवाई के दौरान डॉक्टरों के योगदान की बात करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने डॉक्टरों को 24 घंटे काम करते देखा है. जब मेरे परिवार में कोई बीमार था तो मैं अस्पताल के फर्श पर सोया था और मैंने डॉक्टरों को देखा था. CJI ने साफ कहा कि सभी को काम पर लौटने दें... हम कुछ सामान्य आदेश पारित करेंगे, आश्वस्त रहें कि एक बार जब डॉक्टर काम पर लौटेंगे तो हम अधिकारियों पर प्रतिकूल कार्रवाई न करने का दबाव बनाएंगे, अगर वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा.
एम्स नागपुर के रेजिडेंट चिकित्सकों के वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि प्रदर्शन करने के लिए चिकित्सकों को प्रताड़ित किया जा रहा है. पीठ ने कहा कि काम पर लौटें, इसके बाद भी कोई कठिनाई हो तो न्यायालय के पास आएं. सरकारी अस्पताल में डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की घटना के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को महिला चिकित्सक का शव मिला था. पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिफ्तार किया है.
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