नई दिल्ली. भारतीय रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन के कई साल के अथक प्रयासों और संघर्ष के बाद श्रम मंत्रालय भारत सरकार द्वारा यूनियन की उठाई हुई मांगों पर सकारात्मक विचार करते हुए माल गोदाम श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत करने हेतु आदेशित किया. यह जानकारी प्रवक्ता परिमल कांति मंडल ने दी.


मंत्रालय के सामने रखी यूनियन ने अपनी मांग


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यूनियन के प्रवक्ता ने बताया कि पूरे भारत में रेलवे के माल गोदाम श्रमिकों को एक पहचान मिली है. इसी अवसर को देखते हुए भारतीय रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन ने पूरे भारत में 26 से 28 जनवरी 2022 को विभिन्न स्थानों पर रेलवे माल गोदाम श्रमिकों तथा उनके परिवार के साथ कोरोना नियमों के तहत छोटी-छोटी बैठक की, जिसके बाद श्रमिकों और उनके परिवार की छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान हेतु कुछ मांगो को प्रमुख रूप से रखा गया.


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श्रम मंत्रालय के सामने रखी ये मांग


यूनियन ने कहा कि सभी रेलवे गुड्स शेड श्रमिकों को 'मजदूरी' के लिए एक निश्चित अनुबंध प्रदान करने की जरूरत है. भ्रष्टाचार रोकने के लिए मजदूरी रसीद की व्यवस्था की जाए. डिजिटल इंडिया के अनुसार मजदूरी सीधे श्रमिकों के खाते में स्थानांतरित की जानी चाहिए. आयुष्मान भारत के अनुसार रेलवे गुड्स शेड के सभी कर्मचारियों को पीने का पानी, उचित टॉयलेट, रेलवे शेड में कैंटीन, श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए मुफ्त दवा, दुर्घटना बीमा, रेल पास, पेंशन लाभ और उसके लिए नौकरी प्रतिस्थापन जैसी उचित बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए.



इसके अलावा परिवार के किसी सदस्य को दुर्घटना की स्थिति में नौकरी मिले. बाल शिक्षा, आवास, उचित ड्रेस कोड तथा उचित पहचान पत्र जैसी सुविधाएं दी जाए. प्रवक्ता परिमल कांति मंडल ने बताया की मनुष्य के जीवन में उसकी पहचान सबसे ज्यादा आवश्यक होती है. श्रम मंत्रालय, भारत सरकार ने हमारे माल  गोदाम श्रमिकों को वही पहचान देकर उन्हें जीवन में एक नई दिशा की ओर अग्रसर किया है. 


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सरकार को दिया धन्यवाद


उन्होंने कहा कि 'आज रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन के मजदूरों को हमारे द्वारा किए गए प्रयासों के कारण आशा की नई किरण दिखाई दे रही है. मैं श्रम मंत्रालय भारत सरकार और अपनी यूनियन में कार्यरत्त सभी लोगों को धन्यवाद करता हूं. हालांकि अभी हमारी सभी माँगे पूरी नहीं हुई है, कुछ पर विचार मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है. जिसके लिए हम लोग और अधिक उत्साह के साथ कार्य कर रहे हैं.'


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