नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत मिल गई है. राहुल गांधी लखनऊ एयरपोर्ट पहुंच गए हैं. उनके साथ CM भूपेश बघेल, CM चरणजीत सिंह चन्नी, केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला भी हैं. इससे पहले यूपी सरकार ने इन नेताओं को लखीमपुर जाने की इजाजत नहीं दी थी, जिसे लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा किया.  


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लेकिन ये भी जानना जरूरी है कि ये पहली बार नहीं हो रहा है कि कोई राज्य सरकार विपक्षी नेताओं को घटनास्थल पर जाने से रोक रही हो. इसके कई उदाहरण भारत की सियासत में देखने को मिलते हैं. राज्य सरकारें या जिला प्रशासन कानून व्यवस्था का जायजा लेते हुए ऐसे दौरों पर बंदिशें लगा चुकी हैं.


कब-कब विपक्ष को घटनास्थल पर जाने से रोका गया? 


2011- लोक सभा और राज्य सभा के दोनों नेता विपक्ष को जम्मू एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया था. दिवंगत सुषमा स्वराज और दिवंगत अरुण जेटली को एयरपोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं मिली थी. वाकया है बीजेपी युवा मोर्चा के तिरंगा यात्रा की. उस समय के युवा मोर्चा अध्यक्ष और मौजूदा सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने तिरंगा यात्रा निकाली थी. जिसके समापन पर दोनों नेता शामिल होने के लिए गए थे. उनके साथ दिवंगत अनन्त कुमार भी थे. लेकिन तत्कालीन सरकार के मुखिया उमर अब्दुल्ला ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए इसकी मंजूरी नहीं दी.


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2013- सितंबर में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगे को देखते हुए उस समय के बीजेपी अध्यक्ष और मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) वहां जाना चाहते थे. लेकिन अखिलेश सरकार ने इजाजत नहीं दी. अखिलेश सरकार ने उस समय की बीजेपी उपाध्यक्ष उमा भारती को भी मुजफ्फरनगर नहीं जाने दिया था.


2013- अगस्त में किश्तवाड़ हिंसा के बाद राज्य सभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली को जम्मू एयरपोर्ट पर रोक दिया गया था. उमर सरकार ने महबूबा मुफ्ती को भी घर से बाहर निकलने नहीं दिया था. वो भी किश्तवाड़ जाना चाहती थीं.


राजनीतिक रैलियों को भी नहीं मिलती थी इजाजत


यहां तक कि राज्य सरकारें कई बार राजनीतिक रैलियों की भी मंजूरी नहीं देती हैं, अगर उनकी नजर में ये कानून व्यवस्था का मसला बन सकता है. मई 2019 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को बंगाल सरकार ने रैली करने से रोक दिया था.


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BJP ने बताया राजनीतिक टूरिजम


बीजेपी ने राहुल गांधी के लखीमपुर दौरे को राजनीतिक टूरिजम बताया है. केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत में कहा कि जब 2013 में मुजफ्फरनगर में दंगे हुए तो उस समय राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा क्यों नहीं गए थे? क्या राहुल को राजस्थान में किसानों के ऊपर लाठी चार्ज दिखाई नहीं पड़ता. 


बीजेपी ने कहा कि लखीमपुर में किसी के नहीं जाने की अनुमति दिया जाना, जिला प्रशासन के विवेक पर है. जो वहां की कानून व्यवस्था का आंकलन करके फैसला ले रहा है.