नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) आज (रविवार) को 93 वर्ष के हो गए. लाल कृष्ण आडवाणी भाजपा के उन वरिष्ठतम नेताओं में से हैं जिन्होंने दशकों तक भाजपा को सशक्त बनाने के लिए मेहनत की. उन्होंने राम मंदिर (Ram Mandir) आंदोलन की अगुआई की तो राम मंदिर बनते भी देखा. आइए जानते हैं लाल कृष्ण आडवाणी के जीवन से जुड़ी कुछ अनकही बातें.  

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एक परिचय
लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म कराची (अब पाकिस्तान) में 1927 में हुआ था. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक के तौर पर अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की. भाजपा को फर्स से अर्स तक लाने का श्रेय लाल कृष्ण आडवाणी को जाता है. आडवाणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 1997 में मोरारजी देसाई की सरकार में भी सूचना और प्रसारण मंत्री रहे. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में दो बार गृह मंत्री (1998-99, 1999-2004) और उप प्रधानमंत्री (2002 से 2004) रह चुके हैं.


अटल आडवाणी की जोड़ी
राजनीति में अटल - आडवाणी की जोड़ी सबकी चहेती रही है. दोनों के कई किस्से सुनने को मिलते हैं. ऐसा ही एक किस्सा है 1995 का जब वाजपेयी जी ने आडवाणी जी को जन्मदिन पर सरप्राइज दिया. इसी दौरान माहौल ऐसा भी बना कि वाजपेयी जी ने आडवाणी जी के बगल में बैठने भी से इनकार कर दिया और आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी को अपनी कुर्सी दे दी.


7 नंवबर को वर्ष 1995 में पुणे के होटल अरोड़ा टावर में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक निर्धारित थी. अटल सहित तमाम नेता होटल में पहुंच चुके थे. तभी जिक्र हुआ कि कल यानि 8 नवंबर को आडवाणी जी का जन्मदिन है. तुरंत उनके जन्मदिन के आयोजन की तैयारी हुई. होटल के मालिक दत्तात्रेय चितले ने आडवाणी और अटल के पसींदीदा भोजन की व्यवस्था करवाई.


खैर.. अटल जी के आमंत्रण पर आडवाणी जी भी 7 नवंबर की शाम को ही होटल पहुंच गए. योजना के अनुसार, वाजपेयी जी को होटल में 12 बजे ठीक आधी रात को आडवाणी जी को जन्मदिन की बधाई देनी थी. जिसके लिए एक मंच तैयार किया गया. मंच पर दो कुर्सियां रखीं गईं. एक अटल जी के लिए और दूसरी आडवाणी जी के लिए. रात के खाने के बाद, कार्यसमिति के सभी सदस्य मंच के पास एकत्रित हुए और सभी ने आडवाणी जी और वाजपेयी जी से मंच पर दोनों कुर्सियों पर आने का आग्रह किया.


अचानक वाजपेयी जी ने आडवाणी जी के पास बैठने से इनकार कर दिया. सब हैरान रह गए. तुरंत ही वाजपेयी जी ने इस भ्रम को दूर कर दिया और कहा, कुर्सी आज कमला जी (आडवाणी जी की पत्नी) की है. उन्होंने सुनिश्चित किया कि कमला जी ही आडवाणी जी के बगल में बैठें और उसके बाद ही कार्यक्रम शुरू हुआ. इस तरह आडवाणी जी के लिए यह जन्मदिन यादगार बना.


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