Lal Kunwar History In Hindi: बादशाह कोई भी रहा हो, उसका कुछ न कुछ विवादित इतिहास रहा है. यूं तो मुगल सल्तनत में हमेशा से ही बादशाहों और उनकी अय्याशी के अड्डों यानी मुगल हरम (Mughal Harem) और वहां की औरतों को लेकर चर्चे रहे हैं. बाबर की शुरू की प्रथा आगे पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रही. यहां तक कि सबसे क्रूर मुगल शाषक औरंगजेब भी इस शौख से खुद को दूर नहीं रख पाया. उसके दौर की एक महिला थी लाल कुंवर जिसपर वो ऐसा लट्टू हुआ कि उनके चर्चे दूर-दूर तक फैल गए थे. हालांकि बाद में इसी महिला औरंगजेब के पोते और लाल कुंवर की नजदीकियों के चर्चे दिल्ली में आम हो गए थे. उसने तो उसे रानी ही बना लिया था.


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दरबार में बोलती थी तूती


औरंगजेब ने गद्दी हथियाने के लिए सगे भाई को मरवा दिया. पिता को कैद में डाल दिया. दुनियावी बातों से दूर रहता था लेकिन वो उस महिला पर ऐसा फिदा हुआ जिसकी खूबसूरती और नृत्य ने जिसका मन मोह लिया था. लाल कुंवर एक तवायफ थी जो मुजरा करके बादशाह का दिल बहलाती थी, लेकिन औरंगजेब उस पर ऐसा लट्टू हुआ कि मुगल दरबार में उसका रुतबा और दखल दोनों बढ़ने लगा. उसे शाही सदस्य जैसा सम्मान दिया जाने लगा. उसकी गिनती औरंगजेब के सबसे करीबी और वफादारों में होने लगी थी.


हैसियत देख जलती थी रानियां


लाल कुंवर का रुतबा बेगमों को भी नहीं पसंद था. क्योंकि जब भी वो कहीं जाती तो बाकायदा खास सैनिकों की एक टुकड़ी उसके आगे-पीछे चलती थी. वो हाथी पर चलती थी. नगाड़े बजाकर उसके आने की जानकारी दी जाती थी. यहां तक कि रास्तों को भी खाली करा लिया जाता था मानो खुद बादशाह सलामत औरंगजेब गुजर रहे हों.


फैसला बदलवा देती थी लाल कुंवर


लाल कुंवर का बढ़ता रसूख खुद औरंगजेब की सगी बेटियों और बहन को रास नहीं आ रहा था. क्योंकि वो दरबाद से काम में सलाह देने लगती थी. औरंगजेब का जो आदेश उसे पसंद नहीं आता था वो उसे फौरन बदलवा देती थी. दिल्ली के लाल बंगला इलाके में उसके लिए एक महल बनवाया गया था. बाद में इसी जगह उसका मकबरा बना दिया गया.


औरगंजेब से प्यार उसके पोते से शादी


औरंगजेब के बाद उसके बेटों आजम शाह और बहादुर शाह के पास बहुत कम वक्त के  लिए सत्ता रही. आगे बहादुर शाह का बेटा जहांदार शाह बादशाह बना. जहांदार ने अय्याशी के मामले में अपनी पुरखों को भी पीछे छोड़ दिया और एक बार उसकी नजर लाल कुंवर पर पड़ी तो वो फौरन उसे दिल दे बैठा. उसने पहली नजर का प्यार हुआ तो उसने उसे अपनी गोद में उठा लिया. दोनों का आकर्षण मोहब्बत में तब्दील हो गया था. दोनों की लव स्टोरी प्यार इस कदर आगे बढी कि उसने लाल कुंवर से निकाह किया और उसे इम्तियाज महल नाम दे दिया.


कोठरी में कटी जिंदगी, गुमनामी में हुई मौत


शाह ने न सिर्फ लाल कुंवर को बेगम बनाया, बल्कि भोग विलास और सत्‍ता का हर सुख दिया.  लाल कुंवर और जहांदार शाह, दोनों शौकीन थे. दोनों हमेशा शराब के नशे में डूबे रहते थे. आगे मुगलों की हालत और पतली हुई तो जहांदार शाह और लाल कुंवर के बुरे दिन आ गए थे. सत्ता और सिंहासन तक चला गया. शाह की हत्‍या के बाद लाल कुंवर को एक कोठरी में बाकी जिंदगी काटनी पड़ी. लाल कुंवर का इतिहास एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने एक मुगल बादशाह को कंगला बना दिया.