नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान की बढ़त के साथ ही अब वहां पर पाकिस्तान (Pakistan) के पाले हुए आतंकी संगठनों लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और जैश ए मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) ने भी अपनी जड़ें मजबूत करनी शुरू कर दी हैं. हालात से परेशान अफगानिस्तान सरकार ने भारत को बताया है कि तालिबान के साथ मिलकर इन दोनों आतंकी संगठनों ने देश के भीतर अपने बेस बना रहे हैं. 


अफगानिस्तान में बेस बना रहे जैश-लश्कर


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हालात की नजदीक से निगरानी कर रहे भारत ने पिछले दिनों कई देशों के साथ मीटिंग कर अफगानिस्तान  (Afghanistan) के हालात पर चिंता जताई है. भारत ने कहा कि अफगानिस्तान सरकार के कमजोर पड़ने से वहां पर अराजकता की स्थिति बन सकती है. जिसका फायदा उठाकर लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और जैश ए मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) जैसे आतंकी संगठन वहां पर अपनी पैठ बना सकते हैं. 


तालिबान की बढ़त का फायदा उठा रहा पाकिस्तान


भारत विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पिछले एक साल से पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान  (Afghanistan) में शिफ्ट करने में लगा हुआ है. उसने उत्तर और दक्षिण वजीरिस्तान में सक्रिय आतंकियों को बॉर्डर पार करवाकर बड़ी संख्या में अफगानिस्तान भेजा है. 


हाल ही में उज्बेकिस्तान में आयोजित हुई एक समिट में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने इस बात के लिए पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी. पीएम इमरान खान की मौजूदगी में अशरफ घनी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तान से 10 हजार जेहादी अफगानिस्तान में घुस गए हैं. 


अफगानी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को लताड़ा


उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान  (Afghanistan) में मारे जा रहे विदेशी जेहादियों के पास से पाकिस्तानी आई कार्ड मिल रहे हैं. यही नहीं युद्ध में घायल होने वाले तालिबान लड़ाकों का पाकिस्तान के अस्पतालों में इलाज हो रहा है. खैबर पख्तूनख्वा और बलोचिस्तान के मदरसों में जेहाद के लिए अफगानिस्तान चलो का नारा लग रहा है. 


पड़ोसी देश भी हालात से चिंतित


अफगानिस्तान में विदेशी आतंकियों की मौजूदगी से केवल भारत ही चिंता में नहीं है. उसके आसपास के दूसरे पड़ोसी देशों में भी चिंता फैली हुई है. ईरान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, चीन को भी अफगानी (Afghanistan)  सेनाओं के हाथ से निकले इलाकों में आतंकी संगठनों के फलने-फूलने की आशंका है. 


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उज्बेकिस्तान को डर है कि इन जगहों का इस्तेमाल इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के आतंकी अपने बेस के रूप में कर सकते हैं. वहीं चीन को इस बात की चिंता है कि ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट इन खाली इलाकों में ठिकाना बनाकर उनके यहां गड़बड़ी कर सकता है. 


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