लद्दाख: पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में पिछले करीब 2 साल से भारत और चीन (India-China) के बीच जारी सैन्य तनाव का अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है. दोनों पक्षों की ओर से शुक्रवार को 15वें दौर की चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई. 


चुशूल-मोल्डो पॉइंट पर हुई बातचीत


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लद्दाख (Eastern Ladakh) में भारत की ओर पड़ने वाले चुशूल-मोल्डो बॉर्डर पॉइंट पर आयोजित हुई इस बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में स्थिति पर चर्चा की. दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी सरकारों के निर्देशों का पालन करते हुए डिटेल में एक-दूसरे के साथ अपनी बात रखी. 


दोनों पक्षों ने बातचीत पर जताई सहमति


दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमा पर इस तरह की बातचीत से LAC के वेस्टर्न सेक्टर में शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी. साथ ही दोनों देशों के संबंधों में भी प्रोग्रेस होगी. 


बातचीत के दौरान दोनों पक्ष वेस्टर्न सेक्टर में जमीनी स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता को अंतरिम रूप से बनाए रखने पर भी सहमत हुए. इसके साथ ही सीमा विवाद से जुड़े शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए बातचीत जारी रखने पर भी सहमति जताई गई. 


इन इलाकों से सेना हटाने पर भारत का जोर


सूत्रों के मुताबिक बातचीत में भारतीय पक्ष ने ‘देपसांग बल्ज’ और डेमचोक में मुद्दों को हल करने समेत टकराव वाले शेष स्थानों पर जल्द से जल्द सेना को हटाने पर जोर दिया. इसके साथ ही वार्ता में हॉट स्प्रिंग्स (पेट्रोलिंग प्वाइंट-15) क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर भी बल दिया गया. 


इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया. इससे पहले भारत और चीन के बीच 14वें दौर की बातचीत 12 जनवरी को हुई थी. जिसमें टकराव वाले शेष स्थानों पर गतिरोध का हल करने में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई थी.


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अप्रैल 2020 से बना हुआ है सैन्य तनाव


बताते चलें कि अप्रैल 2020 में लद्दाख (Eastern Ladakh) में युद्धाभ्यास करने आई चीनी (India-China) सेना वापस अपने बेस पर जाने के बजाय लद्दाख में भारत की ओर पड़ने वाले हिस्से में आगे बढ़ गईं. इसका पता चलने पर भारत की ओर से विरोध जताया गया. जब चीन नहीं माना तो भारत ने भी जवाब में अपनी सेना लद्दाख में उतार दी. वर्तमान में दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक भारी हथियारों के साथ एक-दूसरे के सामने तैनात हैं. विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों में 15 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक हल नहीं निकल पाया है. 


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