भारत को लेकर क्यों बदले से दिख रहे हैं चीन के सुर, विदेश मंत्री वांग ने कही ऐसी मीठी बातें
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भारत को लेकर क्यों बदले से दिख रहे हैं चीन के सुर, विदेश मंत्री वांग ने कही ऐसी मीठी बातें

रूस और यूक्रेन की जंग को ध्यान से देख रहे चीन के सुर इन दिनों भारत को लेकर बदले-बदले से दिख रहे हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने भारत को लेकर ऐसी-ऐसी मीठी बातें कहीं हैं, जिन्हें जानकर लोग हैरान हैं. 

फाइल फोटो

बीजिंग: चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने कहा कि पिछले कुछ साल में उनके देश और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि सीमा संबंधी मतभेदों पर समान स्तर से वार्ता होनी चाहिए ताकि एक निष्पक्ष और उचित हल निकल सके. वांग ने उम्मीद जाहिर की कि चीन और भारत (India-China) परस्पर संघर्ष के प्रतिद्वंद्वियों के बजाय पारस्परिक सफलता के भागीदार होंगे. 

  1. 'प्रतिद्वंदी के बजाय साझेदार बनें दोनों देश'
  2. 'सीमा का विवाद ऐतिहासिक विरासत'
  3. 'जयशंकर की बेबाकी से चीन परेशान'

'प्रतिद्वंदी के बजाय साझेदार बनें दोनों देश'

चीन (China) के संसद सत्र से पहले आयोजित प्रेस वार्ता में विदेश मंत्री वांग (Wang Yi) ने कहा, ‘चीन, भारत (India-China) संबंधों में हाल के वर्षों में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, जो दोनों देशों और दो लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति नहीं करते हैं.’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन और भारत को प्रतिद्वंद्वियों के बजाय साझेदार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ ताकतों ने चीन और भारत के बीच हमेशा तनाव पैदा करने की कोशिश की है. उनका इशारा संभवत: अमेरिका की तरफ था. 

'सीमा का विवाद ऐतिहासिक विरासत'

वांग (Wang Yi) ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा संबंधी मुद्दे पर कहा, ‘चीन और भारत (India-China) के रिश्तों में पिछले कुछ वर्षों में कुछ मुश्किलें आई हैं जो दोनों देशों और उनके लोगों के बुनियादी हित में नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक सीमा का मुद्दा है, यह इतिहास के समय से चला आ रहा है. चीन ने समान स्तर से वार्ता के जरिए मतभेदों को सुलझाने और निष्पक्ष तथा उचित हल निकालने की वकालत की है. चीन ने इस बीच द्विपक्षीय सहयोग के बड़े परिदृश्य को प्रभावित नहीं होने दिया.’ 

'जयशंकर की बेबाकी से चीन परेशान'

बताते चलें कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने कहा था कि एलएसी पर सैन्य बलों को नहीं भेजने के समझौतों का बीजिंग ने उल्लंघन किया. जिसके बाद से चीन के साथ भारत का रिश्ता इस समय बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है. जर्मनी में म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस (एमएससी) 2022 में एक पैनल वार्ता में जयशंकर ने कहा था कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से समस्या का सामना कर रहा है. 

'कुछ ताकतें दोनों देशों को दूर कर रहीं'

जयशंकर के इसी बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वांग यी (Wang Yi) ने कहा कि कुछ ताकतों ने हमेशा चीन और भारत (India-China) के बीच तनाव पैदा करने और विभाजन पैदा करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा, ‘इन कोशिशों ने चिंता करने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को सोचने को मजबूर कर दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘एक अरब से अधिक आबादी वाले दोनों बड़े देशों के ज्यादा से ज्यादा लोगों ने यह महसूस किया है कि स्वतंत्र रहकर ही हम अपनी नियति दृढ़ता के साथ तय कर सकते हैं. साथ ही  विकास तथा कायाकल्प के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं.’

'हम दुनिया की एक तिहाई आबादी'

चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन और भारत की जनसंख्या मिलाकर 2.8 अरब से ज्यादा है, जोकि पूरी दुनिया की एक तिहाई है. जब दोनों देश स्थिरता और समृद्धि के साथ शांति- सद्भावना से रहेंगे तो वैश्विक शांति और समृद्धि को मजबूत आधार मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘एक भारतीय लोकोक्ति है कि अपने भाई की नाव खेने में मदद करो, आपकी नाव खुद किनारे पहुंच जाएगी. हमें उम्मीद है कि भारत इस रणनीतिक सहमति को कायम रखने में चीन के साथ काम करेगा कि हमारे दोनों देश एक दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं. हम विकास के अवसर प्रदान करें और आपसी विश्वास कायम रखें. गलतफहमी से बचें ताकि हम परस्पर गतिरोध के बजाय आपसी सफलता के लिए साझेदार बनें.’ 

'इंडो-पैसिफिक में अमेरिकी रणनीति सही नहीं'

वांग यी (Wang Yi) ने कहा कि दोनों पड़ोसियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे संबंध सही दिशा में आगे बढ़ें, हमारे नागरिकों को और अधिक लाभ पहुंचाएं. साथ ही हम मिलकर दुनिया में वृहद योगदान दें. उन्होंने कहा कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति गुटीय राजनीति का पर्याय बनती जा रही है. उन्होंने कहा, ‘इसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आकांक्षा दर्शाई जाती है, लेकिन हकीकत में यह क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है. यह दो से अधिक पक्षों के समन्वय की बात करती है लेकिन हकीकत में अपने विशेष गुट बनाने वाली है. इसमें अंतरराष्ट्रीय नियमों का दावा किया जाता है लेकिन वास्तविकता में यह अपने हिसाब से नियम बनाती और लागू करती है.’ 

एलएसी पर आमने-सामने जमी हैं दोनों सेनाएं

पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन (India-China) की सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई थी. जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों और भारी हथियारों को पहुंचाकर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ाई. गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भीषण झड़प के बाद तनाव बढ़ गया था. कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने पिछले साल गोगरा में और पैंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारों पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी. 

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दोनों में हो चुकी है 14 दौर की सैन्य वार्ता 

भारत और चीन (India-China) ने 12 जनवरी को कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की बातचीत की थी. इस दौरान दोनों पक्षों ने सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई थी, जिससे पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर कोई परस्पर स्वीकार्य समाधान निकल सके. चीन (China) ने भारत के साथ सैन्य स्तर की वार्ता के ताजा दौर को सकारात्मक और सार्थक बताया था और कहा था कि बीजिंग सीमा विवाद के उचित प्रबंधन के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा. चीन ने पड़ोसियों को डराने धमकाने के अमेरिका के आरोप को खारिज कर दिया था. 

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