नई दिल्ली: मशहूर शायर निदा फाजली का एक शेर है. 'नींद पूरे बिस्तर में नहीं होती, वो पलंग के एक कोने में दाएं या बाएं, किसी मख्सूस तकिए की तोड़-मोड़ में छिपी होती है. जब तकिए और गर्दन में समझौता हो जाता है, तो आदमी चैन से सो जाता है. हालांकि कई बार नींद और तकिए के बीच ये संघर्ष कई घंटों तक चलता रहता है. लेकिन ये कोई बहुत अच्छी स्थिति नहीं होती. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 88 प्रतिशत लोग सोने से पहले अपना मोबाइल फोन (Mobile Phone) जरूर चेक करते हैं. और इस दौरान मोबाइल फोन इन लोगों की आंखों से नींद आसानी से चुरा लेता है. यानी मोबाइल फोन की Blue Light को आपका दिमाग, दिन के उजाले की तरह Read करता है और शरीर में नींद तोड़ने का अलर्ट भेज देता है, जिसकी वजह से आपकी नींद खराब हो जाती है.


सोने से पहले मोबाइल फोन चलाने की लत खतरनाक


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इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 59 प्रतिशत लोग मानते हैं कि वो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने की वजह से रात को 11 बजे से पहले नहीं सो पाते. इसके अलावा 36 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया का उनकी नींद पर गहरा असर पड़ा है. और भारत के 88 प्रतिशत लोग सोने से पहले अपना मोबाइल फोन एक बार जरूर चेक करते हैं. इसका मतलब ये है कि हर 100 में से 88 लोग इस देश में ऐसे हैं, जिन्हें सोने से पहले मोबाइल फोन चलाने की लत लग चुकी है. इसलिए आज आपको खुद से सवाल पूछना है कि आप अपने मोबाइल फोन के मालिक हैं या मोबाइल फोन आपका मालिक है?


बदल गया भारतीयों की नींद का पैटर्न


इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कोविड ने भारतीयों की नींद के पैटर्न और उनकी आदतों को बदल दिया है. कोविड के बाद से देर रात तक मोबाइल फोन चलाने और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 57 प्रतिशत तक बढ़ी है. इससे लोगों को मानसिक तनाव और दूसरी बीमारियों से भी संघर्ष करना पड़ रहा है. जैसे, 18 साल से कम उम्र के 80 प्रतिशत बच्चे मानते हैं कि वो सुबह उठने के बाद स्वस्थ महसूस नहीं करते.


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हर चार में से 1 को है नींद नहीं आने की बीमारी


और सबसे बड़ी बात, भारत में हर चार में से एक व्यक्ति को लगता है कि उसे Insomnia यानी नींद ना आने की बीमारी हो चुकी है. नींद स्वास्थ्य की सबसे बड़ी जरूरत है. पर हमारे देश के परेशान लोगों के लिए अब ये एक महामारी बन गई है. इसमें सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि अच्छी नींद को आप तमाम धन-दौलत होने के बावजूद खरीद नहीं सकते.


इस रिपोर्ट में 31 प्रतिशत महिलाएं और 23 प्रतिशत पुरुषों ने माना है कि उनकी नींद का समय पहले से घट गया है. यानी इन लोगों की नींद अब धीरे-धीरे गायब होती जा रही है. और इसके लिए 38 प्रतिशत महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरुष मोबाइल फोन और सोशल मीडिया को इसका कारण मानते हैं.


हालांकि इस रिपोर्ट में एक दिलचस्प जानकारी भी सामने आई है. इसके मुताबिक, भारत में अब ऐसे लोगों की संख्या घट गई है, जो काम के दौरान नींद आने की शिकायत करते हैं. वर्ष 2020 में ऐसे लोगों की संख्या 83 प्रतिशत थी, जो अब घट कर 48 प्रतिशत रह गई है. और इसका सबसे बड़ा कारण है Work From Home. इसने नौकरी पेशा लोगों को घर से काम करने की आजादी दी और ऑफिस और घर की दूरी के अंतर को मिटा दिया.


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नींद, हर 24 घंटे में आने वाला वो समय है, जब आपका शरीर खुद को रिचार्ज करता है. इस दौरान शरीर शिथिल हो जाता है, मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, सांस धीमी चलने लगती है और दिल की धड़कन भी कम हो जाती है. हालांकि नींद के दौरान दिमाग काम करना बंद नहीं करता बल्कि ज्यादा सक्रिय हो जाता है और दिमाग में जमा बेकार की सूचनाओं को डिलीट कर देता है. इससे हमारी Memory में Space बढ़ जाता है. कुछ सीखने और जानने की क्षमता बढ़ जाती है. भरपूर नींद लेने से आपके दिमाग को शांति मिलती है और शरीर किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए ज्यादा मजबूत हो जाता है.


लेकिन तनाव नींद का सबसे बड़ा दुश्मन है. इसकी सबसे सटीक पहचान ये है कि अगर आप सोने के लिए बिस्तर पर जाएं और आधे घंटे बाद भी नींद न आए तो समझ लीजिए कि तनाव ने आपकी नींद छीन ली है. और बड़े शहरों में ये समस्या और भी गंभीर है. इसे आप ऐसे समझिए कि सोने के समय आपके कमरे में एक ही चीज रह सकती है. या तो कमरे में नींद रहेगी या तनाव रहेगा. दोनों एक समय पर एक जगह नहीं हो सकते. अगर नींद है तो तनाव नहीं होगा और तनाव है तो नींद नहीं होगी.


उदाहरण के लिए इस रिपोर्ट में कोलकाता के 40 प्रतिशत लोग मानते हैं कि वो देर से सोते हैं और इसकी वजह मानसिक तनाव है. हैदराबाद के 40 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें दफ्तर के काम की वजह से देर तक जगना पड़ता है. दिल्ली के पास गुरुग्राम शहर के 36 प्रतिशत लोग भी ऐसा ही मानते हैं कि काम की वजह से उनकी नींद पर असर पड़ा है. जबकि मुंबई के 39 प्रतिशत मानते हैं कि उनकी नींद का सबसे बड़े दुश्मन मोबाइल फोन और दूसरे Electronic Device हैं. इसके अलावा दिल्ली के भी 43 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्हें अच्छी नींद के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करना चाहिए.


बदलते दौर में कम सो कर फिट दिखना एक फैशन बनता जा रहा है. कामयाब लोगों की कम नींद लेने की कहानियां सुनने वाले लोग अब नींद को वक्त की बर्बादी कहते हैं. भारत में भी एक पुरानी कहावत है 'जो सोवत है वो खोवत है' यानी जो सोता है वो जीवन में तमाम अच्छे अवसर खो देता है. लेकिन सच ये है कि नींद की कमी आपके जीवन को गंभीर संकट में डाल सकती है. कम नींद लेना आपके स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है और इससे Diabetes, Heart Attack और मोटापे का शिकार होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है.


दुनिया के 5 बड़े देश America, Canada, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, पूरी नींद लेने से लोगों का स्वास्थ्य और देश की अर्थव्यवस्था दोनों में सुधार आ सकता है. जबकि कम नींद लेने की वजह से कर्मचारियों की कार्य कुशलता में कमी आती है और जब देश के लोग कम सोते हैं तो सिर्फ इन 5 देशों की GDP को ही लगभग 48 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसका मतलब है कि आप अगर ठीक से सोते हैं तो आपका स्वास्थ्य और देश की अर्थव्यवस्था, दोनों अच्छी रहती हैं. हालांकि सबके लिए नींद की जरूरत अलग-अलग हैं.


जन्म के बाद 3 महीने तक बच्चा दिन में करीब 20 घंटे सोता है. Teenagers 10 घंटे तक सोते हैं. Office में काम करने की उम्र आते-आते, सोने का वक्त घट कर 7 से 9 घंटे  रह जाता है, और 60 साल की उम्र के बाद एक व्यक्ति को, औसतन 6 से 7 घंटे की नींद जरूरी होती है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि लोग अपनी जरूरत के मुताबिक नींद नहीं ले पाते हैं.


नींद प्रकृति का वरदान है और अगर आप नींद से समझौता कर रहे हैं, तो आप कुदरत से छेड़छाड़ कर रहे हैं. कम नींद लेना बीमारियों का Alarm है इसलिए आपको अच्छी, गहरी और लंबी नींद लेने की आदत डालनी चाहिए.


फेसबुक पोस्ट, इंस्टाग्राम रील और ट्विटर अपडेट भारतीयों की नींद उड़ने की बड़ी वजहें हैं. इसलिए इस गलतफहमी में रहने से कोई फायदा नहीं है कि इंटरनेट पर काम करते रहने की वजह से आपका और हमारा टाइम बर्बाद हो रहा है और नींद उड़ रही है. भारतीयों की नींद गायब होने में सबसे बड़ा हाथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का है. लेकिन अब फोन से चिपके रहने की इस आदत ने नींद पर असर डालना शुरू किया है. भारतीयों की आंखों से नींद उड़ रही है और कम नींद बीमारियों को दावत दे रही है.


मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय जो समय इंटरनेट पर बिता रहे हैं उसमें से एक चौथाई से ज्यादा समय केवल मनोरंजन में बीत रहा है. फोन मिल जाए चाहे नींद ना आए.


आधे से ज्यादा भारतीय रात 11 बजे के बाद सोते हैं. सोने से पहले आखिरी काम फोन चेक करना और जागते ही पहला काम फोन पर नोटिफिकेशन्स देखना ये अब केवल आदत नहीं रही अब एक लत बनती जा रही है. लेकिन इस आदत की वजह से ही हर चार में से एक भारतीय को लगता है कि उनकी नींद पूरी नहीं होती और सुबह उठने पर उन्हें ताजगी यानी फ्रेशनेस वाला अहसास नहीं होता. अगर आपको भी ऐसा लगता है तो ऐसा क्यों लगता है इसकी वजह भी जान लीजिए. इंसान के शरीर मे मिलेनोटोनिन नाम का हार्मोन एक बार रात 11 बजे बनता है और फिर रात 3 बजे, यह हार्मोन व्यक्ति के SLEEP साइकल को कंट्रोल करता है. ऐसे में व्यक्ति अगर सही समय पर सो नहीं रहा है तो उसके शरीर के हॉर्मोन का हिसाब किताब बिगड़ जाता है. इसी वजह से डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन महसूस होता है.


आमतौर पर 8 घंटे की नींद को भरपूर नींद का पैमाना माना जाता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की SLEEP GUIDLINES के मुताबिक, बच्चों के लिए 10 घंटे, वयस्कों के लिए 8 घंटे और बुजुर्गों के लिए 6 घंटे की नींद काफी मानी जाती है. लेकिन रिसर्चर ये मानने लगे हैं कि नींद की मात्रा नहीं गुणवत्ता ज्यादा जरूरी है यानी नींद की QUANTITY से ज्यादा QUALITY अहम होती है.


नींद दो प्रकार की होती है Non-REM Sleep यानी Non Rapid Eye Movement Sleep और REM Sleep यानी Rapid Eye Movement Sleep. Non REM Sleep को गहरी नींद कहा जाता है जिसमें सोने के समय दिमाग शांत रहता है और तय समय पर ही नींद खुलती है. दूसरी REM SLEEP जिसमें नींद बार-बार खुल जाती है.


डॉक्टरों का मानना है कि सोने और जागने का अपना एक समय होता है. उसके साथ छेड़छाड़ व्यक्ति को बीमारियों का घर बना देती है. ऐसे में क्वालिटी नींद लेने के लिए लोगों को रात 11 बजे से पहले सो जाना चाहिए.


आयुर्वेद के विशेषज्ञों के मुताबिक, नियमित प्राणायाम और मेडिटेशन करने वालों का काम 4 से 5 घंटे की नींद से भी चल जाता है और वो थकान महसूस नहीं करते. लेकिन अगर आप रोज थका हुआ महसूस करते हैं तो हम आपको एक्सपर्ट्स के बताए कुछ ऐसे टिप्स बता सकते हैं जिससे आप चैन की नींद सो पाएंगे.


स्मार्टफोन और टेक्नोलॉजी को नींद का दुश्मन माना गया है. अगर मुमकिन हो तो सोने के वक्त फोन को ऑफ कर दें. सोने से आधे घंटे पहले टीवी बंद कर दें. सोने से पहले गुनगुने पानी से नहाएं तो अच्छी नींद आती है. अगर आप कम नींद के शिकार हैं तो शाम को चाय कॉफी न पिएं. रात के वक्त 5 से 10 मिनट प्राणायाम करने से नींद अच्छी आती है. वजन कंट्रोल करें.


नींद कुदरत का वरदान है और अगर आप नींद से समझौता कर रहे हैं तो आप कुदरत से छेड़छाड़ कर रहे हैं. कम नींद लेना कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों का Alarm है. इसलिए आपको अच्छी, गहरी और लंबी नींद लेने की आदत डालनी चाहिए. हम उम्मीद करते हैं कि हमारा ये विश्लेषण आपको गहरी नींद सोने में मदद करेगा.


24 घंटे और सातों दिन काम में लगे रहने वाली Life-Style देर रात तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल, अलग-अलग Shifts में काम करने की मजबूरी और जिंदगी की रेस में दूसरों से आगे निकलने की जिद ने नींद का एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है. इस समय दुनिया में नींद से जुड़े Products का बाजार 31 लाख करोड़ रुपये है और वर्ष 2024 तक ये बढ़कर 42 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा.


भारत के कई Hotels अपने ग्राहकों को Sleep Menu दे रहे हैं, जिसमें ग्राहक अपनी पसंद का तकिया और बिस्तर चुन सकते हैं. और कई Hotels में लोगों को अच्छी नींद के लिए Aroma Therapy भी दी जाती है. Indian Society for Sleep Research द्वारा Sleep Clinics खोलने के लिए लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है. इन Clinics में आसानी से नींद लाने के उपाय बताए जाते हैं. आधुनिक युग में चैन से सोना दुर्लभ होता जा रहा है और एक वक्त ऐसा आ सकता है जब आपको नींद बाजार से खरीदनी पड़ेगी.


अब आप सोच रहे होंगे कि अगर मुझे बिना परेशानी के चैन से सोना है तो क्या करना चाहिए? आप चाहें तो बढ़िया नींद के जो उपाय अब हम आपको बताने जा रहे हैं उन्हें आप रिकॉर्ड करके अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं. आप हर दिन सुबह उठकर Exercise जरूर करें ये सबसे महत्वपूर्ण उपाय है. दिन में कभी भी 30 मिनट से ज्यादा ना सोएं. ये आपकी रात की नींद को प्रभावित करता है. सोने से कम से कम 1 घंटे पहले तक मोबाइल फोन, टीवी, कंप्यूटर और अन्य Electronic Gadgets से दूर रहें.


कई लोगों को सोने से पहले 5 से 10 मिनट तक प्राणायाम करने या Stretching Exercise करने और मधुर संगीत सुनने से भी गहरी नींद आती है. अगर आपको नींद ना आने की समस्या है तो आप अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं.


आप में से बहुत से लोग DNA देखने के बाद सोने चले जाएंगे. पूरी दुनिया इस वक्त नींद की कमी से जूझ रही है और प्रकृति की तरफ से दी गई ये सहूलियत अब एक Luxury बनती जा रही है. यानी अगर आप 8 से 9 घंटे की पूरी नींद ले रहे हैं तो आप दुनिया के सबसे खुशकिस्मत लोगों में से एक हैं. लेकिन हमें यकीन है कि आप में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें पूरी नींद नहीं मिल पा रही होगी. आज हमने ये विश्लेषण इसलिए किया ताकि आप गहरी नींद में सोएं और एक स्वस्थ, सुखी और सुरक्षित जीवन जी सकें. हम आपके लिए अच्छी और गहरी नींद की कामना करते हैं.