यूपी में 'बाबा' के 'Special 52' का विश्लेषण, यहीं से निकलेगा 2024 का रास्ता
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यूपी में 'बाबा' के 'Special 52' का विश्लेषण, यहीं से निकलेगा 2024 का रास्ता

आज उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी नेता ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और फिर दोबारा से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और ये रिकॉर्ड बनाया है, योगी आदित्यनाथ ने. 

यूपी में 'बाबा' के 'Special 52' का विश्लेषण, यहीं से निकलेगा 2024 का रास्ता

नई दिल्ली: एक जमाना था, जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अस्थिरता इतनी ज्यादा थी कि लोग कहते थे, उत्तर प्रदेश में मौसम से पहले मुख्यमंत्री बदल जाता है. वर्ष 1990 से 2000 के बीच केवल 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में 8 बार मुख्यमंत्री बदले गए थे और 3 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. यानी ये वो दौर था, जब उत्तर प्रदेश में सरकारें आती जाती रहती थीं और लोग वहीं के वहीं रह जाते थे. लेकिन आज से उत्तर प्रदेश एक नए युग में प्रवेश कर गया है. 

  1. योगी आदित्यनाथ ने रचा इतिहास
  2. योगी समेत 52 मंत्रियों ने ली शपथ
  3. 2024 के लिए आसान होंगी राहें

योगी ने रचा इतिहास

लेकिन आज उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी नेता ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और फिर दोबारा से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और ये रिकॉर्ड बनाया है, योगी आदित्यनाथ ने. आज हम आपको योगी आदित्यनाथ की Playing 52 से मिलवाएंगे और साथ ही इस बात का भी विश्लेषण करेंगे कि उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनने से देश की राजनीति में क्या बदलाव आएगा.

दोबारा सीएम बने योगी आदित्यनाथ

शुक्रवार को लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और कई केन्द्रीय मंत्री भी मौजूद रहे. इस शपथग्रहण के तीन बड़े Highlights रहे. जिनमें पहला है सोशल इंजीनियरिंग.

सोशल इंजीनियरिंग का कमाल

इस बार योगी सरकार में कुल 52 मंत्रियों को जगह मिली है. इनमें भी सबसे ज्यादा 20 मंत्री पिछड़ी जातियों से हैं. यानी OBC समुदाय से हैं. जबकि आठ मंत्री दलित समुदाय से हैं, 7 ब्राह्मण, 6 ठाकुर, 4 बनिया, 2 भूमिहार, 1 कायस्थ, 1 सिख, 1 मुस्लिम, 1 आदिवासी और 1 खत्री पंजाबी समुदाय से हैं. यानी उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी को जिन जातियों का भरपूर समर्थन मिला, उन्हें मंत्रिमंडल में प्रमुखता से जगह दी गई है. दूसरी बात, सरकार का स्वरूप ऐसा रखा गया है, जिससे ये पिछड़ों और दलितों की सरकार लगे. राजनीति की भाषा में इसे ही सोशल इंजीनियरिंग कहते हैं. हालांकि जब 2017 में पहली बार योगी सरकार बनी थी, तब मंत्रिमंडल में OBC समुदाय के 22 नेता मंत्री बने थे. इसके अलावा तब सरकार में मंत्रियों की संख्या भी 60 थी. लेकिन इस बार ये संख्या घट कर 52 हो गई है.

52 मंत्रियों ने ली शपथ

इन 52 मंत्रियों में 16 ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है. 20 नेताओं को राज्य मंत्री का पद मिला है, 14 नेता राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बने हैं और इस बार भी उत्तर प्रदेश में दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. यानी योगी आदित्यनाथ की टीम में इस बार भी दो Vice Captain होंगे. इनमें पहले हैं केशव प्रसाद मौर्य, जो पहले कार्यकाल में भी उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हालांकि इस बार वो चुनाव हार गए थे. जबकि दूसरे उप मुख्यमंत्री हैं ब्रजेश पाठक, जो 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे. लेकिन अब वो योगी की Captaincy में उत्तर प्रदेश सरकार का महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे.

इन नेताओं की हुई छुट्टी

हालांकि इस बार योगी कैबिनेट से ऐसे कई नेताओं की छुट्टी हो गई है, जिन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की थी. इनमें सिद्धार्थनाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा, जय प्रताप सिंह, नीलकंठ तिवारी, सतीश महाना, जयप्रताप जैकी और आशुतोष टंडन जैसे नेताओं के नाम हैं. इन नेताओं ने चुनाव तो जीता लेकिन इस बार ये योगी की टीम में अपनी जगह नहीं बन पाए. आप ये भी कह सकते हैं कि बीजेपी के Selectors ने इन खिलाड़ियों को इस बार टीम से बाहर कर दिया है और अब ये डगआउट में बैठेंगे. 

इतने MLC हुए बाहर

इसके अलावा आज उन नेताओं के नाम भी चर्चा में रहे, जो बतौर MLC पिछली बार योगी सरकार में मंत्री बने थे, लेकिन इस बार उन्हें मौका नहीं मिला. इनमें पहला नाम डॉक्टर दिनेश शर्मा का है, जो पहले कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री थे. लेकिन इस बार उनकी छुट्टी हो गई है और उनकी जगह ब्रजेश पाठक को मौका मिला है. इसके अलावा पहले कार्यकाल में सिंचाई मंत्री रहे महेंद्र सिंह, राज्य मंत्री मोहसिन रजा और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया को भी नई सरकार में जगह नहीं मिली है. कुल मिला कर कहें तो योगी सरकार का 2.O वर्जन, Advanced भी है और Efficient भी.

उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनना कई मायनों में अहम है, जिसे आप पांच Points में समझ सकते हैं

पहला Point- इससे 2024 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा फायदा होगा. भारत में सबसे ज्यादा 80 लोक सभा सीटें उत्तर प्रदेश में ही हैं और विधान सभा चुनाव में बीजेपी 255 सीटें जीतने में कामयाब रही है. अगर इन 255 सीटों को लोक सभा सीटों में बदल दें तो ये संख्या 55 से 60 हो जाती है. यानी 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले बीजेपी ने इतना तो सुनिश्चित कर लिया है कि राज्य की अधिकांश सीटों पर उसका ही प्रभाव कायम रहे और ये बात 2024 में उसे सीधे फायदा पहुंचाएगी.

दूसरा Point- अब तक बीजेपी में नंबर वन और नंबर टू की Position हुआ करती थी. नंबर वन हैं प्रधानमंत्री मोदी और नंबर टू हैं अमित शाह. राजनीति से लेकर आम बोल-चाल की भाषा में यही कहा जाता था कि बीजेपी में मोदी और शाह का मतलब है नंबर वन और नंबर टू और इसके बाद बाकी जितने भी नेता हैं, वो सब बराबर हैं. यानी बीजेपी में नंबर थ्री का कोई स्थान ही नहीं था. लेकिन आज से योगी आदित्यनाथ बीजेपी में नंबर थ्री हो गए हैं.

तीसरा Point- अब उत्तर प्रदेश में M प्लस Y फैक्टर और मजबूत होगा. यानी मोदी प्लस योगी फैक्टर और मजबूत हो जाएगा.

चौथा Point- उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत का एक बड़ा कारण, विकास का वोटबैंक था. अब जब यूपी में दोबारा से बीजेपी की सरकार बन गई है तो ये वोट बैंक और मजबूत होगा. क्योंकि केन्द्र सरकार, राज्य में अपनी योजनाओं का लाभ लोगों तक आसानी से पहुंचा पाएगी. जैसा कि वो विपक्षी राज्यों में नहीं कर पाती. यानी डबल इंजन की सरकार का लोगों को फायदा मिलेगा.

पांचवां Point- इससे राज्यसभा और राष्ट्रपति के चुनावों में बीजेपी की स्थिति मजबूत होगी.

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