Hearing Loss: इयरफोन पर कितनी देर से ज्यादा गाना सुनना कर सकता है बहरा? स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
Headphones and hearing loss: तेज शोर यानी ध्वनि प्रदूषण की वजह से हीयरिंग प्रॉबल्म आज पूरी दुनिया में गंभीर समस्या बन गई है. डॉक्टरों की एक स्टडी के मुताबिक युवाओं में बढ़ती सुनने की समस्या को लेकर जो वजह बताई है वो हैरान करने वाली है. इसके मुताबिक, रोजाना दो घंटों तक ईयरफोन का इस्तेमाल घातक हो सकता है.
Side effects of using earphones: तेज आवाज यानी ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) एक ऐसा स्लो पॉयजन है, जो लोगों को धीरे-धीरे बहरा (earphones could make you deaf) बना रहा है. इस समस्या का सबसे ज्यादा शिकार वो लोग बन रहे हैं, जिन्हें ईयरफोन लगाकर गाने सुनने या बात करने का शौक होता है. दरअसल ऐसे लोगों को हेडफोन या इयरफोन की वजह से रोजाना कितना नुकसान होता है उसके बारे में उन्हें अंदाजा ही नहीं होता है. बीते कुछ सालों में ईयरफोन और ईयर बड्स के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ा है. इसी तरह सोसायटी के एक तबके में ज्यादा हाई वॉल्यूम में म्यूजिक सुनने का ट्रेंड भी बढ़ा है. ऐसे में आज बात करेंगे आपके कान की सेफ्टी की यानी उस हीयरिंग प्रॉबल्म (Hearing Problem) की, जो आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है.
स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
चंडीगढ़ पीजीआई के ईएनटी डिपार्टमेंट की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, स्पीच एंड हियरिंग यूनिट के डॉक्टरों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. 35 साल से कम उम्र के युवाओं में कम सुनाई देने से संबंधित शिकायत ज्यादा हैं जबकि करीब पांच से दस साल पहले 45 से 55 साल की उम्र के लोग कम सुनाई देने से संबंधित समस्या लेकर आते थे.
रोजाना 2 घंटे तक ईयरफोन का इस्तेमाल खतरनाक
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 80 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि घातक है. वहीं 24 घंटे में 2 घंटे तक ईयरफोन पर गाना सुनना खतरनाक हो सकता है. इस शोध के मुताबिक युवा जो रोजाना दो घंटे से ज्यादा तेज आवाज में हेडफोन लगाकर गाने सुनते हैं, उनकी सुनने की क्षमता तेजी से कम हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि तेज आवाज का शोर सीधे-सीधे इंसानों की सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है. बहुत से यूथ ज्यादातर 90 से 100 डेसिबल के साउंड पर गाने सुनते हैं. वहीं, रिपोर्ट में दिनभर में दो घंटे से ज्यादा ईयरफोन नहीं लगाने की सलाह दी गई है.
क्या कहते हैं आकड़े और बहरा होने का खतरा
साल 2020 में प्रकाशित इंडियन मेडिकल रिसर्च (IMR) की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर 12 में से 1 शख्स को किसी न किसी तरह की सुनने की समस्या है. वहीं देश की आबादी का करीब 6.5 फीसदी हिस्सा कम सुनने की बीमारी से पीड़ित है. ऐसे में अगर आपके आसपास शोर, हल्ला हंगामे का लेवल 90-95 डेसिबल है तो सुनने की समस्या हो सकती है. वहीं ये लेवल 125 डेसिबल पहुंचता है तो कानों में दर्द होने लगता है और अगर इसी शोर का लेवल 140 डेसिबल पहुंचता है तो व्यक्ति बहरा हो सकता है.
जानलेवा हुआ ध्वनि प्रदूषण
तेज आवाज जैसे शादी ब्याह में लगने वाला साउंड सिस्टम और डीजे की आवाज़ जानलेवा हो चुुकी है. बिहार के सीतामढ़ी में एक दूल्हे को स्टेज पर डीजे की तेज आवाज की वजह से हार्ट अटैक आया और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दूल्हे को कानफोड़ू शोर से शिकायत थी. उसने मना किया फिर भी डीजे की आवाज कम नहीं हुई लिहाजा ये घटना घट गई. इस मामले से इतर देशभर में एयरपोर्ट के नजदीक रहने वाले लोगों को बेचैनी, अनिद्रा और हाइपरटेंश की शिकायत बढ़ी है. लक्षणों की बात करें तो तेज आवाज की वजह से लोगों के कान बज रहे हैं. उनके सुनने की क्षमता में कमी आई है. वहीं कान में दर्द और ब्लॉकेज होने के साथ कुछ लोगों के कानों में सीटियों की आवाज सुनाई देती है.
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