नई दिल्ली: भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने दलितों के उत्पीड़न के मामलों से जुड़े एक कानून के सख्त प्रावधानों में ढील के उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ सोमवार को पुनर्विचार याचिका दायर की.  पार्टी के नेता चिराग पासवान ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून के फैसले पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. लोजपा नेता चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने पुनर्विचार याचिका दायर की है क्योंकि उच्चतम न्यायालय के आदेश ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति( अत्याचार रोकथाम) कानून को कमजोर कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि कानून के मूल प्रावधानों को बहाल किया जाए जो उत्पीड़न के खिलाफ दलितों और आदिवासियों के लिए हथियार हैं. इसके साथ ही एक शीर्ष केंद्रीय मंत्री ने भी सरकार से ऐसे ही कदम का समर्थन किया.


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नरेंद्र मोदी सरकार ने अभी तक स्पष्ट रुख नहीं लिया है
नरेंद्र मोदी सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट रुख नहीं लिया है कि वह उच्चतम न्यायालय से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करे या नहीं. लेकिन दलित नेताओं ने इसके पक्ष में राय व्यक्त की है. इन नेताओं में भाजपा के भी नेता शामिल हैं. भाजपा के दलित सांसद उदित राज ने कहा कि अगर आदेश पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो उनकी पार्टी को राजनीतिक रूप से ऐसे समय नुकसान हो सकता है जब वह दलितों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए समन्वित प्रयास कर रही है.


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सरकार की ओर से उभर रहे संकेत के तहत, सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका है कि आदेश से कानून अप्रभावी हो जाएगा और दलितों तथा आदिवासियों की न्याय व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि उनकी राय में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करना उचित होगा.


लोजपा ने राजनीतिक बढ़त प्राप्त की!
हालांकि लोजपा ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायरकर राजनीतिक बढ़त प्राप्त कर ली. पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर सरकार की ओर से देरी होती है तो वह याचिका दायर करेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र को अब तक याचिका दायर कर देनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है. लोजपा के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी को न्यायालय के आदेश के खिलाफ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों से बड़ी संख्या में ज्ञापन मिल रहे हैं.