नई दिल्लीः दशकों से पानी की समस्या से जूझ रहे बुंदेलखंड अंचल में एक बार फिर सूखे कंठ पानी की तलाश में भटक रहे है. कहीं मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है तो कहीं गावं खाली रहे हैं. इलाके में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अंचल के कई शहर इस कदर तप रहे हैं कि देश के सबसे गर्म शहरों में इनका नाम है. आसमानी तपन और भीषण गर्मी के कहर को झेल रहे बुंदेलखंड के दमोह में लोगों के हलक की प्यास नहीं बुझ पा रही है. पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है. लिहाजा अब शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण क्षेत्र पीने के पानी की किल्ल्त का इस कदर सामना कर रहे है की प्यास के आगे गर्मी भी पीछे है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मतलब तपती दोपहरी और रात के सन्नाटे के बीच भी लोगों का पूरा समय पानी के इंतजाम में बीत रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्त्रोत पूरी तरह सूख गए हैं. आलम ये है कि अधकांश इलाकों में जिसे जहां भी जरा सा भी पानी दिखता है वो उस पानी को अपने बर्तनो में भरने के लिए जद्दोजहद करने लगता है. यहां लोग पानी का एक टेंकर देखते ही दौड़ लगा देते हैं और टेंकर रुका नहीं कि पानी के लिए हुजूम जमा हो जाता है और शायद जितना समय इस टेंकर को मशीन से भरने में लगता है उससे एक चौथाई समय में टेंकर खाली हो जाता है. पानी के लिए भागते लोगों पर ये जरा सा रहम हटा की नगर पालिका का है जो लोगों को घरों तक पाइप लाइन के जरिये तो पानी नहीं दे पाई पर टेंकर के जरिये कुछ राहत जरूर दे रही है. 


देखें लाइव टीवी



मध्य प्रदेश के इस गांव में पानी की समस्या से परेशान हुए लोग, प्रशासन ने साधी चुप्पी


बुंदेलखंड में कई जगह अनमोल हो चुके पानी के लिए दिन रात एक करते लोग सिर्फ सिस्टम को ही कोसते हैं बाकी पानी तो उन्हें इसी तरह भरना ही है. इन हालातों के लिए प्रशासनिक तंत्र की जिम्मेदारी बनती है ये बिलकुल सच है, लेकिन उतने ही जिम्मेदार नेता यानी निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी हैं. मोदी सरकार में पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल इस इलाके में पांच सालों से सांसद है और फिलहाल उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली है. पटेल साफ कहते हैं की जमीन के अंदर पानी नहीं जो हो सकता है कर रहे हैं पर इस बात का भी यकीन कीजिये की 2022  तक प्रधानमंत्री मोदी हर घर में पाइप लाइन के जरिये पानी पहुंचाएंगे.