जबलपुर: कोरोना काल में लोगों को महंगाई का झटका लग रहा है. लेकिन अब मध्य प्रदेश की जनता को बिजली का झटका भी लगने वाला है. बिजली कंपनियों की आर्थिक सेहत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. कंपनियों के पास राजस्व नहीं आ रहा है ,यही स्थिति रही तो आने वाले वक्त में निरंतर सप्लाई देना मुश्किल हो सकता है ऐसे में कंपनियां घाटे से उबरने के लिए बिजली के दामों में इजाफे का प्रस्ताव तैयार कर रही है.


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कोरोना की वजह से नहीं बढ़े थे दाम
साल 2020-21 में बिजली कंपनियों ने औसत 5.25 फ़ीसदी दाम बढ़ाने की अनुमति चाही थी, जिस पर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को फैसला लेना था, लेकिन कोरोना संक्रमण और उप चुनाव की वजह से यह फैसला नहीं लिया जा सका. ऐसे में अब नए सत्र 2021-22 के लिए नए टैरिफ बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सूत्रों की मानें तो बिजली कंपनियां 9 फीसदी तक दाम बढ़ाने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेज सकती हैं, 30 नवंबर तक विद्युत कम्पनी को याचिका तैयार करनी है, मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी याचिका तैयार करती है. 


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आपको बता दें कि रबी सीजन में डिमांड बढ़ने के साथ 6 हजार करोड़ यूनिट बिजली बेच दी जाएगी. आगामी सत्र में बिजली की डिमांड बढ़ेगी ऐसे में पर्याप्त बिजली की उपलब्धता के लिए कंपनी को दाम में इजाफा करना मजबूरी होगा. बिजली कंपनी ने प्रारंभिक आंकलन 2020-21 के लिए 39332 करोड़ रुपए का किया है. जबकि खर्च 41332 करोड़ रुपए माना है. इस हिसाब से सालाना नुकसान 2 हजार करोड़ रुपए माना था.


गौरतलब है कि बिजली के दाम तय करने का निर्णय मप्र विद्युत नियामक आयोग करती है. कंपनी सालाना जरूरत के मुताबिक आय—व्यय का आंकलन कर दाम प्रस्तावित करती है. ऐसे में अभी नई टैरिफ याचिका बनाने पर काम हो रहा है. 


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