कृषि मंत्री तोमर बोले- ``किसानों से हम सिर झुकाकर बातचीत को तैयार, जल्द खत्म होगा आंदोलन``
नये कृषि कानूनों के समर्थन में बुधवार को ग्वालियर में बीजेपी का किसान सम्मेलन आयोजित हुआ. सम्मेलन में शामिल हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बड़ा बयान दिया है. पढ़िए पूरी खबर...
ग्वालियर: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के समर्थन में भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में किसान सम्मेलन और किसान चौपाल का आयोजन कर रही है. बुधवार को ग्वालियर में आयोजित किसान सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आंदोलनरत किसानों से लगातार बात चल रही है. जल्द ही आंदोलन खत्म होगा. विपक्षी दल देश भर में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिलेगी.
'हम किसानों से दोबारा बात करेंगे'
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देशभर के किसान इस बिल का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं. केवल पंजाब में ही इसका विरोध नजर आ रहा है. इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं. किसान संगठन केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, उम्मीद है जल्द ही हल निकलेगा. उन्होंने कहा कि पंजाब की किसान यूनियनों से भी इस मसले पर चर्चा चल रही है. किसानों ने कृषि कानूनों के जिन मुद्दों पर संशय जताया है, केंद्र सरकार उनमें संशोधन करने पर विचार कर रही है. किसानों की ओर से जैसे ही प्रतिक्रिया आएगी हम दोबारा बात करेंगे.
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'किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होंगे तीनों कानून'
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नोटबंदी की, जीएसटी लागू किया तब भी यही कहा गया था कि अब यह सरकार सत्ता में वापस नहीं आएगी. लेकिन लोकसभा के चुनाव में पहले से ज्यादा सीटें आईं. जब से नरेंद्र मोदी सरकार बनी है, तब से ही किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों के किसान संगठन हमसे मिलकर कह रहे हैं कि इन कानूनों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि ये तीनों कानून किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होंगे.
'सिर झुकाकर बात करने को तैयार हैं'
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने आंदोलन कर रहे लोगों से बात की. हमने उन्हें किसान माना, जबकि कुछ लोगों ने कहा कि आंदोलन में किसान नहीं बल्कि वामपंथी विचारधारा के लोग हैं. यह लोग किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. किसानों से बात करने के लिए मोदी सरकार सिर झुकाकर तैयार है. कुछ लोग अगर गलत नियत से आंदोलन और किसानों को भटकाने का काम करेंगे तो सरकार उनको जबाव भी देना जानती है.
क्यों हो रहा कृषि कानूनों का विरोध?
दरअसल, आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले, फिर किसानों के साथ चर्चा कर नए कानून बनाए. किसानों को आंशका है कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बने तीनों कानूनों से फार्म सेक्टर पूंजीपतियों और कार्पोरेट के हाथों में चला जाएगा. इसका नुकसान किसानों को होगा, जबकि केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि किसी भी कीमत पर कृषि कानूनों वापस नहीं लिया जाएगा.
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