रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री का 74 वर्ष में निधन हो गया. उन्होंने 29 मई को आखिरी सांस ली. अजीत जोगी ऐसे पहले नेता थे तो जो पहले ब्यूरोक्रेट थे, बाद में राजनीति में आए. उन्होंने पहले आईपीएस की परीक्षा पास की फिर 2 साल बाद ही आईएएस बन गए. मध्य प्रदेश राज्य की सेवा की. उनके नाम लगातार 13 साल तक कलेक्टर बने रहने का एक तरह का रिकॉर्ड भी है. 
अजीत की राजनीति में एट्री भी एकदम फिल्मी अंदाज में हुई थी. अजीत जोगी के कांग्रेस खानदान से रिश्ते जगजाहिर थे. उसमें भी वे राजीव गांधी के चहेते अफसरों में थे. 


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दरअसल, खुद प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इंदौर कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी को राजनीति में एंट्री करवाई थी. यह भी एक द‍िलचस्‍प क‍िस्‍सा है. जानकारों की मानें तो एक जब जोगी इंदौर कलेक्टर थे तो राजीव गांधी ने रात के करीब ढाई बजे फ़ोन कर जोगी को जगाया था और कहा था क‍ि आपको राज्यसभा जाना है.


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बात 1985 की है. इंदौर के रेसिडेंसी एरिया स्थित कलेक्टर के बंगले में कलेक्टर जोगी सो रहे थे. रात को 2:30 बजे अचानक फोन बजा. फोन एक कर्मचारी ने उठाया. उसने फोन पर कहा कलेक्टर साहब सो चुके हैं. तब फोन की दूसरी तरफ से राजीव गांधी के पीए वी जॉर्ज सख्‍त लहजे में कहते हैं क‍ि, कलेक्टर साहब को उठाइये और बात करवाइये. जब जोगी फोन पर आते हैं तो उधर से राजीव गांधी की आवाज आती है. राजीव गांधी उन्‍हें राजनीत‍ि में आने का प्रस्‍ताव देते हैं. बस इसी फोन के बाद जोगी इंदौर कलेक्‍टर से नेता बन जाते हैं.


उसी रात दिग्विजय सिंह कलेक्टर आवास पहुंचकर राजीव गांधी का पूरा संदेश अजीत जोगी सुनाते हैं. जोगी अब नेता बन चुके थे. उन्‍होंने कांग्रेस जॉइन कर ली. कुछ ही दिन बाद उनको कांग्रेस की ऑल इंडिया कमेटी फॉर वेलफेयर ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट एंड ट्राइब्स के मेंबर बना दिया गया. इसके बाद वे राज्यसभा भेज दिए गए.


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दरसअल, राजीव गांधी उस वक्त ओल्ड गार्ड्स को ठिकाने लगा नई टीम बना रहे थे. मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह उनकी सूची में सबसे पहले नेता थे. छत्‍तीसगढ़ जैसे आदिवासी इलाके के ल‍िए उन्हें नए उर्जावान नेता की जरूरत थी. ऐसे युवा की जो विद्याचरण, श्यामाचरण शुक्ला ब्रदर्स को चुनौती दे सके. राजीव गांधी के उस फर्मे में जोगी बिलकुल फिट बैठ रहे थे. 


जानकारों की मानें तो कांग्रेस में आने के बाद अजीत जोगी की गांधी परिवार से नजदीकिया काफी बढ़ीं. अजीत जोगी सीधी और शहडोल में लंबे समय तक कलेक्टर रहे. उस वक्त मध्यप्रदेश में अर्जुन स‍िंह का सिक्का चलता था. अजीत जोगी ने हवा का रुख भांपकर अर्जुन सिंह को अपना गॉडफादर बना लिया. कांग्रेस का दामन ऐसे पकड़ा कि फिर सीएम की कुर्सी तक पहुंचे बिना नहीं छोड़ा. साल 2016 में कांग्रेस से मोहभंग हुआ था जिसके बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया.