MP Assembly Elections: मध्य प्रदेश की इस विधानसभा सीट पर बना अनोखा रिकॉर्ड, 66 साल से चल रहा यह रिवाज
Hoshangabad Assembly Seat: मध्य प्रदेश की एक विधानसभा सीट पर अनोखा रिकॉर्ड बना है. यहां बीजेपी ने इस बार भी बड़ी जीत हासिल की है. जहां भाई और भाई के बीच मुकाबला था.
Sitasharan Sharma BJP MLA: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कई दिलचस्प रिकॉर्ड बने हैं. ऐसा ही एक रिकॉर्ड होशंगाबाद-इटारसी विधानसभा सीट पर भी बना है, जहां भाई के खिलाफ भाई का चुनावी मुकाबला था. यानि बीजेपी के डॉ. सीताशरण शर्मा का मुकाबला कांग्रेस के गिरजाशंकर शर्मा से था, दोनों आपस में सगे भाई थे. नतीजों में यहां से बीजेपी के सीताशरण शर्मा ने बड़ी जीत हासिल की है. लेकिन उनकी जीत के साथ यहां एक बड़ा रिकॉर्ड बन गया है, जो 66 सालों से चला आ रहा है.
ब्राह्मण विधायक पहली पसंद
नर्मदापुरम संभाग की होशंगाबाद-इटारसी विधानसभा सीट पर मतदाताओं की पसंद ब्राह्मण वर्ग बन चुका है. ऐसे में दोनों राजनीतिक दल इसी वर्ग पर भरोसा जताते हैं. खास बात यह है कि अब तक इस सीट पर 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 13 बार ब्राह्मण से विधायक चुना गया है, जबकि केवल दो बार ही दूसरी जातियों से आने वाले प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. एक ही विधानसभा सीट से ब्राह्मण वर्ग से 13 बार जीतना अपने आप में एक अनोखा रिकॉर्ड है.
ऐसा है सामाजिक समीकरण
बात अगर होशंगाबाद विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की जाए तो यहां ब्राह्मण के साथ-साथ कुर्मी, एससी-एसटी ओबीसी समाज प्रभावी भूमिका में रहता है. हालांकि विधानसभा चुनाव में कुर्मी और ब्राह्मण वर्ग ही निर्णायक माना जाता है. इस बार चुनाव जीते डॉ. सीताशरण शर्मा 6वीं बार चुनाव जीते हैं.
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होशंगाबाद सीट से यह नेता बन चुके हैं विधायक
इस विधानसभा सीट की खास बात यह भी है कि जो एक बार चुनाव जीतता है, जतना उसे बार-बार मौका देती है. डॉ. सीताशरण शर्मा 6 बार विधायक बन चुके हैं, जबकि उनके भाई गिरजाशंकर शर्मा भी दो बार विधायक बन चुके हैं, इसके अलावा विजय दुबे भी दो बार विधायक बन चुके हैं. जबकि हरिप्रसाद चतुर्वेदी भी तीन बार विधायक रह चुके हैं. केवल कुंवर सिंह और नर्मदाप्रसाद सोनी ही एक-एक बार विधायक चुने गए हैं.
शर्मा परिवार का दबदबा
होशंगाबाद विधानसभा सीट पर ब्राह्मण वर्ग के अलावा शर्मा परिवार का दबदबा भी माना जाता है. इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस ने एक ही परिवार के दो सदस्यों पर दांव लगाया था. बीजेपी के सीताशरण शर्मा को पार्टी ने तीसरी बार मौका दिया था, जबकि बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए गिरजाशंकर शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दिया था. जिसके बाद इस सीट पर शर्मा परिवार में ही विधायकी जाना तय हो गया था. पिछले 33 सालों से इस सीट पर शर्मा परिवार का ही कब्जा रहा है. परिसीमन के पहले तक यह सीट इटारसी के नाम से जानी जाती थी, जहां से सीतासरण शर्मा विधायक रहे. 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट होशंगाबाद के नाम से जाने जानी लगी. 2003 और 2008 में गिरिजाशंकर शर्मा भाजपा से दो बार विधायक रह चुके हैं. जबकि 2013 में बीजेपी ने गिरिजाशंकर शर्मा की जगह उनके भाई डॉक्टर सीतासरन शर्मा को टिकट दिया था, 2013 और 2018 में डॉक्टर सीतासरन शर्मा यहां से चुनाव जीत चुके हैं.
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