Arun Sao Latest News: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बंपर सीटें हासिल कीं और इस नतीजे ने तो सभी को चौंका दिया. अब पार्टी को शानदार बहुमत हासिल किया तो सरकार बनेगी और सरकार बनेगी तो कोई ना कोई मुख्यमंत्री होगा. मुख्यमंत्री को लेकर अलग-अलग नाम सामने आए हैं. जिनमें सबसे आगे नाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव है. माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें राज्य का अगला मुख्यमंत्री बना सकती है तो चलिए उनके बारे में जानते हैं...


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कौन हैं अरुण साव?
पिछले साल बीजेपी ने अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. इससे पहले अरुण साव 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बिलासपुर से सांसद चुने गए थे. साव मुंगेली के रहने वाले हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी आलाकमान ने 2014 में 1.76 लाख वोटों से सांसद बने लखनलाल साहू का टिकट काट दिया था और उन्हें बिलासपुर से उम्मीदवार बनाया था.


एबीवीपी से जुड़े थे
उन्होंने अपना राजनीतिक सफर एबीवीपी से शुरू किया था. छात्र जीवन के दौरान वे इस संगठन में पूरी तरह सक्रिय रहे. वह 1990 से 1995 तक एबीवीपी की मुंगेली इकाई के अध्यक्ष रहे और बाद में राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी बने. अरुण साव ने मुंगेली से स्नातक की पढ़ाई की और उनके पास कानून की डिग्री है. उन्होंने बिलासपुर से कानून की पढ़ाई की. 1996 में वे युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष और तत्कालीन विधायक अमर अग्रवाल के साथ महासचिव भी रहे.


संघ की पृष्ठभूमि के कारण बने प्रदेश अध्यक्ष
2019 में जब उनको लोकसभा के चुनाव में सांसद का टिकट दिया गया तो यह बात सामने आई थी कि उनको भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी इसलिए बनाया गया क्योंकि वो संघ की पृष्ठभूमि से हैं. इनके पिताजी अभयराम साव जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और संघ के स्वयंसेवक थे और  पुरानी पृष्ठभूमि के चलते संगठन ने इन पर विश्वास जताते हुए पहले सांसद टिकट दिया थ. अब राज्य के अगले मुख्यमंत्री के लिए उनका नाम सबसे आगे है.


साहू समाज से आते हैं अरुण साव
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की 52 फीसदी आबादी ओबीसी है, इसलिए इस वर्ग का राज्य में खासा राजनीतिक प्रभाव है. आपको बता दें कि साहू समाज की आबादी ओबीसी में सबसे ज्यादा है. राज्य की लगभग 20 से 22% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला साहू समुदाय छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक प्रमुख वोट बैंक है और चुनावों में इस समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण राजनीतिक दलों की साहू समुदाय पर कड़ी नजर रहती है. बीजेपी की जीत पर कहीं न कहीं साहू समाज से आने वाले अरुण साव का भी असर रहा है.