MP Chunav 2023: भिंड। मध्य प्रदेश में चुनावों के ऐलान के पहले से जारी बगावत अब भी चल रही है. भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही अब भी भारी बगावत का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर से टिकट बटवारे के बाद कई नेताओं ने दल बदल किया तो कई भीतरखाने ही पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं. इस बीच कुछ समय पहले कांग्रेस में शामिल हुए मलखान सिंह (Malkhan Singh) बीजेपी के खिलाफ घूम-घूम कर प्रचार कर रहे हैं. आइये जानें मलखान के मन में क्या है.


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मलखान सिंह का झंडा बुलंद
50 वर्षों में डकैतों की एक इशारे पर चुनावों में प्रत्याशी जीत और हार जाते थे. एक बार फिर 2023 की चुनावी बेला में समर्पित बागी मलखान सिंह की एंट्री हुई है, जिन्होंने अपनी जवानी में पुलिस और प्रशासन के अन्याय पूर्ण रवैये के चलते बगावत कर बंदूक उठा ली थी. उम्र के आखिरी पड़ाव पर एक बार फिर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीतियों के खिलाफ बगावत कर चंबल अंचल के कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में झंडा बुलंद किया है. 


बीजेपी के खिलाफ कर रहे प्रचार
मलखान सिंह मेहगांव विधानसभा से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी राहुल सिंह भदोरिया के पक्ष में कैंपेनिंग की ओर मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नीतियों पर जमकर हमला बोला और कांग्रेस सरकार बनवाने का दावा करते हुए कहा कि वह प्रदेश भर में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं.


क्या है चंबल में डकैतों का इतिहास
चंबल का इलाका 50 वर्षों से अधिक समय तक बीहड़ बागी और बंदूक के लिए बदनाम रहा. जहां, कई लोगों ने पुलिसिया जुल्म के शिकार होकर बंदूक उठाकर बीहड़ में कूद बगावत कर बागी हो गए थे. 50 के दशक में पहली महिला डकैत गौहर बानो उर्फ पुतलीबाई द्वारा बंदूक उठाकर बीहड़ का रुख किया गया.


पुतलीबाई की फेयरिश्त में मोहर सिंह माधो सिंह, मानसिंह पान सिंह, सलीम गुर्जर, फूलन देवी, पुतलीबाई, नीलम गुप्ता, सीमा परिहार, सरला जाटव जैसी महिलाओं ने भी बीहड़ में समानांतर सरकार चलाते हुए एक छत्र राज किया. हालांकि, 2007 में जगजीवन परिहार के खात्मे के साथ चंबल अंचल में भी डकैत समस्या भी खत्म हो गई थी.


भिंड से जी मीडिया के लिए प्रदीप शर्मा की रिपोर्ट