MP Election: मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है. लेकिन वोटिंग के बाद मतदान का जो आंकड़ा सामने आया है, वह एक फिर राजनीतिक पंडितों को चौंका गया. क्योंकि इस बार भी मध्य प्रदेस में बंपर मतदान हुआ है. 2018 के विधानसभा चुनाव से इस बार मध्य प्रदेश में ज्यादा मतदान हुआ है. प्रदेश की 230 सीटों पर इस बार 76.22 फीसदी वोटिंग हुई हैं, जबकि 2018 में वोटिंग का प्रतिशत 75.63 रहा था. पिछले चार चुनावों से वोटिंग का प्रतिशत हर बार बढ़ रहा है. 


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जानिए सबसे कम और ज्यादा वोटिंग 


दरअसल, मध्य प्रदेश में इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग महाकौशल अंचल के सिवनी जिले में हुई है, सिवनी में कुल 85.68 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि सबसे कम वोट अलीराजपुर जिले में हुई, यहां केवल 60.10 प्रतिशत वोट ही पड़े. रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट ने वोटिंग में रिकॉर्ड बना दिया, यहां कुल 90 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि अलीराजपुर जिले की जोबट सीट पर सबसे कम 54.04 प्रतिशत वोटिंग हुई है. मध्य प्रदेश में इस बार कई सीटों पर उम्मीद के मुताबिक ज्यादा वोटिंग हुई तो कई सीटों पर उम्मीद से कम ही वोटिंग हुई है. ऐसे में राजनीतिक पंडित भी हैरान नजर आ रहे हैं. 


पिछले 4 चुनावों का वोटिंग रिकॉर्ड 


  • 2003 में 67.25 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 

  • 2008 में 69.28 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 

  • 2013 में 72.07 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 

  • 2018 में 75.63 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 


हर चुनाव में बढ़ रही वोटिंग 


मध्य प्रदेश में पिछले चार चुनावों के वोटिंग रिकॉर्ड को देखा जाए तो 2003 से लेकर 2018 तक हर बार वोटिंग बढ़ी है. जबकि 2023 में भी यहां आंकड़ा और बढ़ गया. हालांकि वोटिंग परसेंटेज के आंकड़ों को देखे तो न केवल राजनीतिक जानकार हैरान हैं बल्कि प्रत्याशी भी इस वोटिंग से थोड़े असंमजस में जरूर हैं, क्योंकि इस बार भी वोटर्स ने मतदान तो खूब किया, लेकिन राजनीतिक पंडित भी यहां अंदाजा लगाने में जरूर मुश्किल में आ गए वोटिंग नतीजों में कैसे बदलेगी. 


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क्यों दिलचस्प हैं यह आंकड़े 


2003 का विधानसभा चुनाव 


2003 का विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश में एक तरह से बीजेपी के मजबूत युग की शुरुआत मानी जाती है. इस चुनाव के बाद बीजेपी कभी भी राज्य की राजनीति में कमजोर नहीं हुई. उमा भारती नेतृत्व में बीजेपी ने 170 से ज्यादा सीटें जीती थी. इस चुनाव में 67.25 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. यानि इस वोटिंग को सत्ता के खिलाफ देखा गया था. 


2008 का विधानसभा चुनाव


2003 की बाद पांच साल बाद 2008 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत फिर बढ़ा, हालांकि इसमें कोई ज्यादा उछाल नहीं आया. 2008 में 69.28 वोटिंग हुई जो 2003 के वोटिंग प्रतिशत से 2 प्रतिशत ज्यादा थी. इस बार भी बीजेपी ने 140 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाई और सत्ता बरकरार रखी. लेकिन इस बार कांग्रेस बाउंसबेक करती नजर आई और पार्टी 70 से ज्यादा सीटें जीती थी. 


2013 का विधानसभा चुनाव


2013 का विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश में दिलचस्प रहा. बीजेपी ने इस बार भी 160 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बरकरार रखी. जबकि इस बार वोटिंग प्रतिशत 72.07 रहा. जो 2008 के आंकड़ों से 1.50 प्रतिशत से ज्यादा था. खास बात यह रहा कि इस बार बीजेपी की सीटें 2008 के मुकाबले बढ़ गई, जबकि कांग्रेस की सीटें घट गई. कांग्रेस 55 सीटों के अंदर सिमट कर रह गई. 


2018 का विधानसभा चुनाव 


2018 का विधानसभा चुनाव एक बार फिर चौंकाने वाले रहा. इस बार बीजेपी बहुमत से दूर रही और पार्टी केवल 109 सीटों पर जीती. जबकि कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 114 सीटें जीती. लेकिन कांग्रेस भी बहुमत से दूर रही थी. इस बार वोटिंग प्रतिशत फिर बढ़ा, 2018 में 75.63 वोटिंग हुई थी. 


दिलचस्प होंगे नतीजे


पिछले चार चुनावों पर नजर डाली जाए तो एक बात स्पष्ट हैं कि हर बार वोटिंग प्रतिशत तो बढ़ रहा है. लेकिन नतीजों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है. 2003 से 2013 तक वोटर्स ने बीजेपी पर ही भरोसा जताया था. लेकिन 2018 में वोटिंग प्रतिशत में ज्यादा इजाफा तो नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस की सीटें जरूर बढ़ी, जिससे यह माना जा रहा है कि इस बार वोटर्स ने किस मन से वोट डाला है, यह दिलचस्प होगा. ऐसे में 3 दिसंबर के दिन जो नतीजें आएंगे वह हैरान करने वाले हो सकते हैं. 


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