मध्य प्रदेश के इस गांव में डॉक्टर नहीं, झाड़ू से बाबा करते हैं दिमागी बीमारी का इलाज, जानें कैसे
मलाजपुर गांव में गुरु साहब बाबा की समाधि है, जहां पौष माह की पूर्णिमा से मेला शुरू होता है जो एक महीने तक चलता है. बताया जाता है मेले के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा प्रेत बाधा से पीड़ित, निसंतान दंपति और सर्पदंश(सांप का काटा) से पीड़ित मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं.
इरशाद हिंदुस्तानी/ बैतूल: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां लोग मानसिक बीमारी का इलाज कराने के लिए डॉक्टर के नहीं बल्कि झाड़-फूंक वाले बाबा के पास जाते हैं. बैतूल के चिचोली विकासखंड में स्थित मलाजपुर गांव में पिछले 400 सालों से गुरु साहब बाबा का मेला लगता है. जहां मानसिक रूप से बीमार लोगों का इलाज बाल खींच कर और झाड़ू मार कर किया जाता है.
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दरअसल मलाजपुर गांव में गुरु साहब बाबा की समाधि है, जहां पौष माह की पूर्णिमा से मेला शुरू होता है जो एक महीने तक चलता है. बताया जाता है मेले के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा प्रेत बाधा से पीड़ित, निसंतान दंपति और सर्पदंश(सांप का काटा) से पीड़ित मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं.
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ऐसे होता है इलाज
कहा जाता है कि मानसिक रूप से बीमार लोग गुरु साहब बाबा की समाधि की परिक्रमा लगाते हैं, जैसे ही वे समाधि के सामने पहुंचते हैं तो उनके शरीर में हलचल होने लगती है. इसके बाद यहां बैठे पुजारी उनके बाल खींच कर पूछते हैं कौन सी बाधा है और उसके बाद गुरु साहब का जयकारा लगाकर झाड़ू से मारते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से पीड़ितों की तकलीफ दूर हो जाती है.
यहां आने वाले लोगों की मान्यता
जो लोग यहां इलाज के लिए आते हैं उनका कहना है कि यह कोई अंधविश्वास नहीं है, यहां आने से उन्हें आराम मिलता है. जो लोग यहां अपनी बीमारी के साथ आते हैं वे यहां से पूरी तरह ठीक होकर लौटते हैं.
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वहीं दूसरी ओर चिकित्सा विज्ञान इसे पूरी तरह से अंधविश्वास मानती है. मेडिकल ऑफिसर डॉ. रजनीश शर्मा का कहना है कि मानसिक बीमारी कई तरह की होती हैं और इनका ट्रीटमेंट भी अलग अलग तरीके से होता है. झाड़-फूंक से या बाल खींचने से इन बीमारी का इलाज नहीं किया जा सकता है.
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