रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 27 फीसदी करने के लिए एक बार फिर रास्ता तैयार किया है, जिसके तहत अब राशन कार्ड को आधार बनाते हुए जातिगत आरक्षण का रास्ता साफ किया जाएगा.  वहीं इस फैसले पर विपक्षी पार्टी ने भूपेश सरकार को आड़े हाथों लिया है.


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दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 को ओबीसी के लिए आरक्षण का दायरा 14 प्रतिशत से बढाकर 27 प्रतिशत कर दिया था, साथ ही सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत और अनुसुचित जाति का आरक्षण 1 प्रतिशत बढाकर 12 प्रतिशत कर दिया था.जिसके बाद राज्य में आरक्षण की सीमा बढकर 82 प्रतिशत (ओबीसी-27, अनु.ज.जाति-32, अनु.जाति-12, सामान्य-10) हो गई थी,जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत रखने के निर्देश दिए हैं. 


बघेल सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका लगाई गई,जिसके बाद हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने का आधार पूछते हुए स्टे लगा दिया.स्टे के बाद राज्य सरकार ने पटेल कमिटी बनाई, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर हाइकोर्ट में जवाब प्रस्तुत किया जा सके.


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आज हुई कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि राशनकार्ड को आधार बनाते हुए हेडकाउंट किया जाएगा. और इसी आधार पर पटेल कमिटी अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी. सरकार इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट से स्टे हटवाना चाहती है. वहीं इस फैसले पर विपक्ष ने निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार छत्तीसगढ के पिछड़ा वर्ग को भ्रम में रखकर वोट बटोरना चाहती है.


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